Asthma

अस्थमा (Asthma) के बारे में यह कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ in Hindi 

अस्थमा या दमा क्या है? 

आखिर अस्थमा है क्या? “किसी व्यक्ति के फेफड़े तक हवा न पहुंच पाने के कारण उसे सांस लेने में होने वाली तकलीफ को ही अस्थमा कहा जाता है”.   What is Asthma?

अस्थमा की वजह से कई समस्याएं जैसे सांस लेने में तकलीफ,  जोर-जोर से सांस लेना, सूखी या बलगम वाली खांसी होना, सांस का अधिक फूलना आदि होती हैं.

अस्थमा का भी असर अलग-अलग होता है. और कुछ लोगों को पर अस्थमा का असर कम होता है और लोगों पर ज्यादा होता है जिसकी वजह से उन्हें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कुछ लोगों के लिए अस्थमा एक समस्या बन जाती है, जिसे वह झेल नहीं पाते है.  

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अस्थमा के कितने प्रकार होते है-Types of Asthma  

  • पेरिनियल अस्थमा- Perennial Asthma
  • सिजनल अस्थमा- Seasonal Asthma
  • एलर्जिक अस्थमा- Allergic Asthma
  • नॉन एलर्जिक अस्थमा- Non Allergic Asthma
  • अकुपेशनल अस्थमा- Occupational Asthma
  • एलर्जिक अस्थमा- Allergic Asthma 

(अस्थमा के इस प्रकार के होने के दौरान किसी विशेष चीज से एलर्जी होती है एलर्जिक अस्थमा में धूल मिट्टी के सम्पर्क में आते ही साँस फूलने लगती हैं इसके अलावा मौसम में हुए बदलावों के कारण भी अस्थमा (दमा) हो सकता है). 

  • नॉन एलर्जिक अस्थमा- Non Allergic Asthma

(अस्थमा के इस प्रकार के दौरान जब कोई बहुत अधिक तनाव या डिप्रेशन में हो या बहुत सर्दी और खाँसी, जुकाम होता है). 

  • सिजनल अस्थमा- Seasonal Asthma

(अस्थमा के इस प्रकार के दौरान पूरे वर्ष न होकर किसी विशेष मौसम में पराग कण या नमी के कारण होता है). 

  • अकुपेशनल अस्थमा- Occupational Asthma

(अस्थमा के इस प्रकार के दौरान जो लोग कारखानों में काम करते है उनमें अकुपेशनल अस्थमा पाया जाता है). 

अस्थमा के 10 लक्षण (Top 10 Asthma Symptoms)

  • सांस का फूलना या सांस लेने में कठिनाई होना. 
  • सीने में दर्द होना.  
  • सूखी या बलगम वाली खांसी होना. 
  • सीने में जकड़न महसूस होना.    
  • सांस लेते समय घरघराहट की आवाज का आना.   
  • रात में या सुबह के समय स्थिति का गंभीर हो जाना.   
  • ठंडी हवा में सांस लेने से स्वास्थ्य बिगड़ जाना. 
  • आराम करते समय स्‍वास्‍थ्‍य का और भी ज्‍यादा खराब हो जाना.  
  • जोर-जोर से सांस लेना जिसकी वजह से अधिक थकान महसूस होना.   
  • हालत खराब हो जाने पर कई बार उल्टी लगने की भी संभावना बढ़ जाती है. आदि 

इन सभी लक्षणों में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं कुछ मामले ऐसे भी होते है जिसमें अस्थमा से पीड़ित लोगों को यह भी ज्ञात नहीं होता है कि उन्हें अस्थमा की बीमारी है क्योंकि अस्थमा के यह लक्षण नजर ही नहीं आते हैं. 

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अस्थमा की कई सारी संभावनाएं होती हैं, लेकिन अस्थमा के असर को नॉर्मल समझा जा सकता है और इसके लिए इलाज के सामान्य तरीकों से जैसे दवाइयां लेने को अपनाया जा सकता है. 

अस्थमा के कुछ मामले ऐसे होते हैं, जिनमें लोगों को अधिकाधिक परेशानियों जैसे दिल की धड़कनों का तेज़ी से चलना,  इनहेलर(सांस लेने में मदद करने वाली मशीन) का बार-बार या अधिक इस्तेमाल करना,  सांस लेने की समस्या का बढ़ जाना आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

कुछ मरीजों के लिए अस्थमा की स्थितियां प्राकृतिक या मानव निर्मित परिस्थितियों पर भी निर्भर करती है. किसी व्यक्ति को अस्थमा का अटैक होने को अस्थमा ट्रिगर कहा जाता है. 

यही नहीं जब ये सभी पदार्थ  इकट्ठा हो जाते है, तब इससे लोगों की वायु-मार्ग प्रभावित हो जाती है और वह बलगम से भर जाती है. 

अस्थमा होने के क्या कारण 

प्रदूषण, आज के समय में अस्थमा और अन्य बीमारियों का सबसे बड़ा कारण बन चुका है. कारखानों,  वाहनों से निकलने वाला धुआं या प्रदूषण अधिक मात्रा में अस्थमा का कारण बन रहे हैं. इसके साथ ही सर्दी,  फ्लू,  धूम्रपान,  मौसम में हुए बदलावों के कारण भी लोग अस्थमा से ग्रसित हो रहे हैं.

इसके साथ ही कुछ एलर्जी वाले या सांस फूलने वाले पदार्थ है जिनके सेवन करने से सांस संबंधी बीमारियां होती हैं. अगर आपको किसी भी वस्तु के उपभोग से सांस लेने में परेशानी होती है तो उस वस्तु का उपभोग न करें. 

एक कारण पेट में अम्ल की मात्रा का अधिक होना भी अस्थमा होने का कारण हो सकता है. इसके अलावा दवाइयां, शराब के पीने और कई बार भावनात्मक या मानसिक तनाव भी अस्थमा का कारण बन जाते हैं. अधिक से अधिक व्यायाम से भी अस्थमा की बीमारी हो सकता है. कुछ लोगों में यह समस्या आनुवंशिक होती है. 

अस्‍थमा के प्रकार और उसके होने के कारण (Top 10 Asthma types) in Hindi 

  1. एलर्जिक अस्थमा: एलर्जिक अस्थमा के दौरान मनुष्य में किसी चीज से एलर्जी होती है जैसे- धूल-मिट्टी. धूल-मिट्टी के संपर्क में आने पर आपको अस्थमा या श्वास विकार हो जाता है या इसके अलावा मौसम में परिवर्तन पर आप दमा के शिकार हो जाते हैं. तो यह एलर्जिक अस्थमा” कहलाता है. 
  2. नॉन-एलर्जिक अस्थमा: नॉन एलर्जिक अस्थमा, अस्थमा का वह कारण है जिसमें किसी एक चीज अति होने पर होता है जैसे- जब आप बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत तेज-तेज हंस रहे हो, आपको बहुत अधिक सर्दी लग गई हो या बहुत अधिक खांसी-जुकाम हो. इस स्थिति में “नॉन-एलर्जिक अस्थमा” कहलाता है. 
  3. मिक्सड अस्थमा: इस प्रकार का अस्थमा, अस्थमा के और प्रकार के कारणों का एक साथ हो जाने से भी हो जाता है इस स्थिति में अस्थमा किसी भी कारण से हो सकता है. यह अस्थमा एलर्जिक कारणों से भी हो सकता है और नॉन-एलर्जिक कारणों से भी हो सकता है. यही नहीं मिक्सड अस्थमा के होने के कारणों को पता लगाना भी थोड़ा मुश्किल होता है. इसे “मिक्सड अस्थमा” कहा जाता है. 
  4. एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा: कई लोगों को एक्सरसाइज करने से या फिर अधिक शारीरिक कार्य करने के कारण अस्थमा की शिकायत हो जाती है.  यही नहीं कई लोग जब अपनी क्षमता से अधिक कार्य करने लगते हैं तो उस समय पर वे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं. इसे “एक्सरसाइज़ इंड्यूस” अस्थमा कहलाता है.  
  5. कफ वेरिएंट अस्थमा: कई बार अस्थमा का कारण कफ भी होता है सूखी खांसी या बलगम वाली खांसी अस्थमा का लक्षण होता है. जब आपको लगातार कफ की शिकायत होती है या खांसी के दौरान अधिक कफ आता है तो आपको अस्थमा का अटैक पड़ जाता है. इसे “कफ वेरिएंट अस्थमा” कहलाता है. 
  6. ऑक्यूपेशनल अस्थमा: ये अस्थमा-अटैक अचानक काम करते समय पड़ता है. अगर आप लगातार एक ही तरह का काम करते हैं तो अकसर आपको इस दौरान अस्थमा-अटैक पड़ने लगते हैं इसका एक कारण यह भी है की आपको अपने कार्यस्थल का वातावरण सूट नहीं करता जिससे आपको अस्थमा का शिकार हो जाना पड़ता हैं. इसे “ऑक्युपेशनल अस्थमा” कहलाता है.  
  7. नॉक्टेर्नल (नाइटटाइम अस्थमा): ये अस्थमा का एक ऐसा प्रकार है जो सिर्फ रात के समय ही होता है. जब आपको कई बार रात के समय अस्थमा का अटैक पड़ने लगे तो आप नॉक्टेर्नल अस्थमा के शिकार हैं. रात में होने वाले अस्थमा अटैक को “नोक्टेर्नल अस्थमा” कहा जाता है. 
  8. मिमिक अस्थमा: जब आपको कोई स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी बीमारी जैसे निमोनिया, कार्डियक जैसे रोग होते हैं तो आपको मिमिक अस्थमा हो सकता है. यह मिमिक अस्थमा स्वास्थ्य का अधिक खराब होने के कारण ही होता है. इसे “मिमिक अस्थमा” कहा जाता है. 
  9. चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा: चाइल्ड ओनसेट अस्थमा वह अस्थमा है जो सिर्फ बच्चों के ही होता है. जिस बच्चे को अस्थमा होता है और वह बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है तो बच्चा इस प्रकार के अस्थमा से अपने आप ही बाहर आने लगता है. ये बहुत ज्यादा रिस्की नहीं होता है. लेकिन हर बीमारी का सही समय पर उपचार करवाना ही जरूरी होता है. यह अस्थमा केवल बच्चों में ही पाया जाता है, इसलिए इसे “चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा” कहा जाता है. 
  10. एडल्ट ऑनसेट अस्थमा: ये अस्थमा युवाओं(20 वर्षीय या उससे अधिक) को होता है. यानी 20 वर्ष की उम्र का होने के बाद ही एडल्ट ऑनसेट अस्थमा होता है. इस प्रकार के अस्थमा के पीछे कई एलर्जिक कारण भी हुए छुपे होते हैं. वैसे तो इसका अधिक मुख्य कारण प्रदूषण, प्लास्टिक, अधिक धूल मिट्टी और जानवरों के साथ रहने पर होता है. इसे ही “एडल्ट ऑनसेट अस्थमा” कहा जाता है. 

Asthma (अस्थमा) से कैसे बचाव करें 

कई बार हम बचाव करते तो हैं लेकिन कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना भूल जाते है. और अस्थमा के मरीज को इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक हो जाता है. यह बचाव आप नीचे देख सकते है:- 

  • यह समय कोरोना संक्रमण से बचाव का है, जिसके लिए अपनी सुरक्षा करना सर्वप्रथम कार्य बन गया है तो संक्रमण से बचाव करने के लिए घर से बाहर निकलने पर मास्क या कोई कपड़ा लगा कर निकलें. 
  • अस्थमा/दमा के रोगियों को बारिश से, सर्दी और धूल भरी जगह से बचा जाना चाहिए. बारिश से इसलिए बचाव करें क्योंकि बारिश के मौसम में नमी हो जाते है, जिसके कारण संक्रमण के और अधिक बढ़ने की संभावना होती है. 
  • अधिक नमी और ज्यादा ठंडे वाले वातावरण से दूर रहना चाहिए. ऐसे वातावरण में ज्यादा देर तक न रहें क्योंकि इससे अस्थमा के लक्षण मनुष्य में देखें जा सकते है और अस्थमा के मरीज को ऐसे वातावरण से परेशानी हो सकती है. 
  • सर्दी का मौसम अधिकतर लोगो को पसंद होता है सर्दी के मौसम में जो धुंध होती है वह देखने में तो अच्छी होती है लेकिन यही धुंध संक्रमित करती है. इसलिए सर्दी के मौसम के समय में धुंध में जाने से बचें. 
  • धूम्रपान शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक होता है ये आप सभी जानते है. अस्थमा होने का यह सबसे प्रथम कारण होता है. धूम्रपान न करें और धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के संक्रमण में न आए उनसे दूरी बनाए रखें.  
  • अस्थमा से बचाव करने के लिए इन वस्तुओं से दूरी बनाए रखें (मच्छर भागाने वाली कोइल का धुआँ, ताजा पेंट, अगर-बत्ती, कीट-नाशक स्प्रे, खुशबूदार इत्र या Perfume से जितना हो सके बचे. यह अस्थमा का कारण होती है. आदि. 

यह थे अस्थमा होने के कारण और अस्थमा से बचाव करने के लिए कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान कैसे रखें, इसके अलावा अस्थमा से बचाव के लिए जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने पर अस्थमा के प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है आइये देखते हैं-

अस्थमा होने पर घरेलू उपचार करते समय इन वस्तुओं का सेवन करें-

अस्थमा (Asthma) (श्वास विकार) से ग्रस्त लोगों का आहार ऐसा होना चाहिए

  1. अनाज- गेहूँ,  पुराना चावल, जौ, का सेवन करें.
  2. दालें- अरहर, मूँग,  मसूर, कुल्थी की दाल का सेवन करें. 
  3. अस्थमा के मरीजों को अपने आहार में यह कुछ आहार शामिल करने है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है, जैसे- हरी पत्ते-दार सब्जियां, पालक का और गाजर का रस अस्थमा में पीने से बहुत फायदेमंद होता है.
  4. अपने खाने में लहसुन,  अदरक,  हल्दी और काली मिर्च को जरूर शामिल करें, यह अस्थमा से बचाव के लिए और अस्थमा से लड़ने में मदद करते हैं. 
  5. पानी गुनगुना करके ही पिए. गुनगुने पानी को पीने से अस्थमा के इलाज में बहुत मदद मिलती है.
  6. शहद का सेवन करें.
  7. फल- पपीता, सेब, जामुन, आम, स्ट्रॉबरी, मौसमी फल जरूर खाएं. 
  8. सब्जियां- लौकी(घिया),  तोरई,  कद्दू,  करेला,  पालक,  फूलगोभी,  गाजर,  बैंगन,  बथुआ,  टमाटर,  मौसमी हरी सब्जियाँ,  शकरकंद.  
  9. अन्य- जूस,  शतावर,  सूरजमुखी,  बादाम,  जौ,  दालचीनी,  शुंठी,  काली मिर्च, पीपली,  मधु(शहद),  गुनगुना पानी, लहसुन.
  10. औषधियों में- पतंजलि का च्यवनप्राश,  अमृत रसायन,  त्रिकटु चूर्ण,  गुड़ाद्रक, वासा अवलेह,  कण्टकारी अवलेह यह सभी औषधियाँ है जिनका सेवन करने से अस्थमा से लड़ने में मदद मिलती है. 

अस्थमा होने पर इन सभी वस्तुओं का सेवन बिलकुल न करें

  • मछली, गरिष्ठ भोजन, तले हुए पदार्थ न खाएँ. 
  • अधिक मीठा, ठण्डा पानी, दही का सेवन न करें. 
  • अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए. 
  • कोल्ड ड्रिंक, ठण्डा पानी और ठण्डी प्रकृति वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए. 
  • अण्डे, मछली और मांस जैसी चीजें अस्थमा में हानिकारक है. 

अस्थमा का घरेलू तरीके से उपचार करते समय आपकी जीवन शैली ऐसी होनी चाहिए-

  • प्रिजरवेटिव युक्त एवं कोल्डड्रिंक आदि का बिल्कुल भी सेवन न करें, इससे सांस की बीमारी का इलाज में बाधा उत्पन्न होती है. 
  • नियमित रूप से प्राणायाम एवं सूर्य नमस्कार करने से अस्थमा से राहत मिलती है. 
  • ठण्डे तथा नमीयुक्त वातावरण में न रहें. 
  • अत्यधिक शारीरिक व्यायाम न करें. 
  • योगासन करने से सांस की बीमारी का इलाज करने में मदद मिलती है. 
  • अगर आप अस्थमा का जड़ से इलाज (asthma ka ilaj) करना चाहते हैं तो इनका पालन करें. 
  • अनाज: नया चावल, मैदा
  • दाल:  उड़द, मटर, चना, काबुली चना 
  • फल एवं सब्जियां: आलू तथा अन्य कन्द, सरसों का साग
  • अन्य:  धूल, धुआँ, जलन पैदा करने वाले भोज्य पदार्थ, मछली, अत्यधिक मात्रा में तेल, सुपारी, ठंडा भोजन, बासी भोजन, दूषित जल, रूखा भोजन, तला हुआ पचने में भरी भोज्य पदार्थ
  • सख्त मना: तैलीय, मासलेदार, घी, ज्यादा नमक, बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड  डिब्बाबंद भोजन.

दमा/अस्थमा की बीमारी में आपकी जीवनशैली कैसी होनी चाहिए?

  • धूम्रपान करने से बचे और धूम्रपान करते हुए व्यक्ति से दूरी बनाए. 
  • भोजन खाने के पूरी तरह पचा लें और खाया हुआ भोजन पचने से पहले भोजन न करें. 
  • अधिक से अधिक व्यायाम न करें. 
  • क्रोध,  भय,  उतावलापन, और  चिंता या तनाव न करें. 
  • रात में ही सोएं दिन में न सोएं. 
  • छींक,  पेशाब,  प्यास आदि को न रोकें. 
  • बारिश, सर्दी, नमी और धूल भरी जगह से बचें. 
  • अधिक ठण्डे और ज्यादा नमी वाले वातावरण में न रहें. 
  • अपनी सुरक्षा स्वयं करें घर से बाहर निकलने से पहले ही मास्क लगा कर घर से निकलें. 
  • सर्दी के मौसम में धुंध ज्यादा होती है अस्थमा होने पर धुंध में जाने से बचें. 
  • यह वस्तुएं है जो एलर्जी पैदा कर देती है, जैसे- ताजा पेंट,  कीटनाशक,  स्प्रे,  अगरबत्ती,  मच्छर भगाने का कॉइल का धुआँ,  खुशबुदार इत्र के प्रयोग से बचें. 

योग अधिकतर मर्ज की दवा है स्वास्थ्य के लिए यह बहुत लाभकारी होता है. तो जानते है किस प्रकार है योग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक. और अस्थमा की बीमारी में किस योग को करें.  

अस्थमा (श्वास विकार) से बचाव के लिए योग और आसन (Yoga and Asana for Asthma Treatment)

अस्थमा (श्वास विकार) से राहत पाने के लिए आप ये योग और आसन कर सकते हैंः-

  • योग प्राणायाम एवं ध्यान: भस्त्रिका, कपालभांति, बाह्यप्राणायाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, उज्जायी, प्रनव जप. 
  • आसन- गोमुखासन, मर्कटासन, सिंहासन, भुजंगासन. 

इस लेख में आपको अस्थमा के बारे में अनेकों जानकारी प्राप्त है जैसे- अस्थमा क्या है? अस्थमा को कितने नामों से जाना जाता है? अस्थमा को किस प्रकार से प्रकार से पहचाना जाए? अस्थमा होने के क्या कारण होते है? अस्थमा किस प्रकार से होता है? अस्थमा का इलाज कैसे किया जाए? अस्थमा ठीक करने के घरेलू उपचार क्या है? अस्थमा से बचाव करने के लिए क्या खाएं और क्या नहीं खाएं आदि सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिल जाएंगे. 

आपके लिए यह लेख बहुत मददगार साबित हुआ होगा. अस्थमा ही नहीं कोई बीमारी हो उसका समय पर इलाज करवाना ही सही रहता है. अगर आप अस्थमा जैसी बीमारी से पीड़ित है तो अपने डॉक्टर या चिकित्सक से जरूर सलाह लें. और बीमारियों के बारे में जाने और comment के माध्यम से अपनी स्वास्थ्य समस्या जरूर बताएं.

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