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राम नवमी (Ram Navami) आने को है और ऐसे में आप सभी के घरों में गीत गाये जाते होंगे. राम जी के भक्तों के लिए नीचे बहुत से गीत हैं जो आप अपने कीर्तन में गाँ सकती है.
दोस्तों में आपको इस लेख में Ram Navami Best भजन लिखित रूप में दे रही हूँ जिसे पढ़कर आप शब्दों में गा सकती है. यह लेख आपके लिए बहुत ही लाभकारी होने वाला है, तो इस लेख को पढे और Ram Navami के अवसर पर राम भजन का आनंद लें.
1. पायो जी मैंने राम रतन धन पायो (Ram Navami Best Songs)
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु
कृपा कर अपनायो। ।
जन्म जन्म की पूंजी पाई
जग में सभी खोआओ। ।
खर्च ना खूटे, चोर ना लूटे
दिन दिन बढ़त सवायो। ।
सत की नाव खेवतिया सतगुरु
भवसागर तरवायो। ।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर
हर्ष हर्ष जस गायो। ।
2. हे राम हे राम जग में साचो तेरो नाम
हे राम, हे राम
जग में साचो तेरो नाम
हे राम, हे राम। ।
तू ही माता, तू ही पिता है
तू ही तो है राधा का श्याम
हे राम, हे राम। ।
तू अंतर्यामी, सबका स्वामी
तेरे चरणों में चारो धाम
हे राम, हे राम। ।
तू ही बिगड़े, तू ही सवारे
इस जग के सारे काम
हे राम, हे राम। ।
तू ही जगदाता, विश्वविधता
तू ही सुबह तू ही शाम
हे राम, हे राम। ।
3. भय प्रकट कृपाला दीन दयाला
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचारी। ।
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,
निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला,
सोभासिंधु खरारी। ।
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी,
केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना,
वेद पुरान भनंता। ।
करुना सुख सागर, सब गुन आगर,
जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी,
भयउ प्रगट श्रीकंता। ।
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया,
रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी,
सुनत धीर मति थिर न रहै। ।
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना,
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई,
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै। ।
माता पुनि बोली, सो मति डोली,
तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला,
यह सुख परम अनूप। ।
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना,
होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं,
ते न परहिं भवकूप। ।
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,
कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी,
अद्भुत रूप बिचार। ।
श्री राम, जय राम, जय जय राम
श्री राम, जय राम, जय जय राम। ।
4. जय श्री राम जय जय श्री राम (राम मंदिर निर्माण गीत)
जय श्री राम जय जय श्री राम,
शुरू हुआ मंदिर निर्माण
जय श्री राम जय जय श्री राम ,
शुरू हुआ मंदिर निर्माण।।
“आओ हम सब करें समर्पित , तन-मन-धन प्रभु राम के नाम
जय श्री राम जय जय श्री राम , शुरू हुआ मंदिर निर्माण”।।
पांच शतक वर्षों से जो दिन , ताक रही आंखें अविराम
पुरुषोत्तम श्री राम प्रभु कब , आएंगे अपने श्री धाम
आज दिवस वह पावन आया , शुरू हुआ मंदिर का काम
जय श्री राम जय जय श्री राम , शुरू हुआ मंदिर निर्माण।।
“नाम अयोध्या पावन धाम , जन्मे जहां प्रभु श्री राम
जिसके लिए गवाएं अब तक , लक्ष-लक्ष युवकों ने प्राण”||
“तन-मन-धन हम करें समर्पित , रचने पुनः प्रभु का धाम
जय श्री राम जय जय श्री राम , शुरू हुआ मंदिर निर्माण”।।
ऋषियों की ही रक्षा हेतु , रहे सदा संकल्पित राम
समरस,करुणा,प्रेम भाव से , जिए सदा कौशल पति राम
बने राष्ट्रमंदिर और जग में , अमर बने भारत का नाम
जय श्री राम जय जय श्री राम , शुरू हुआ मंदिर निर्माण। ।
“आओ हम सब करे समर्पित , तन-मन-धन प्रभु के नाम
जय श्री राम जय जय श्री राम , शुरू हुआ मंदिर निर्माण”।।
5. रघुपति राघव राजा राम
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम। ।
सुंदर विग्रह मेघश्याम
गंगा तुलसी शालग्राम। ।
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम। ।
भद्रगिरीश्वर सीताराम
भगत-जनप्रिय सीताराम। ।
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम। ।
जानकीरमणा सीताराम
जयजय राघव सीताराम। ।
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम। ।
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम। ।
6. हम राम जी के राम जी हमारे है
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं। ।
मेरे नयनो के तारे हैं
सारे जग के रखवारे हैं। ।
मेरे तो प्राण अधारे हैं
सब भगतन के रखवारे हैं। ।
जो लाखो पापीओं को तारे हैं
जो अघमन को उधारे हैं। ।
हम इनके सदा सहारे हैं
हम उनकी शरण पधारे हैं। ।
गणिका और गीध उधारे हैं
हम खड़े उन्ही के द्वारे हैं। ।
7. राम जी के नाम ने तो पत्थर भी तारे
राम जी के नाम ने तो पाथर भी तारे
जो न जपे राम नाम वो हैं किस्मत के मारे
राम जी के नाम ने तो पाथर भी तारे
राम जी के नाम को शिवजी ने ध्याया
तुलसी ने राम जी से सरबस पाया
कविरा तो भजन कर कर भए मतवारे
राम जी के नाम ने तो
पाथर भी तारे
राम नाम अमृत है राम नाम है चंदन
राम नाम देव जपे सांस करे बन्दन
महावीर राम नाम हृदय मे धारे
राम जी के नाम ने तो
पाथर भी तारे
राम ही राम जपो राम नाम ही ध्यायो
राम नाम प्रेम की ज्योति घर-घर जगाओ
उसकी शरण में जाओ सुन लो तुम प्यारे
राम जी के नाम ने तो पाथर भी तारे
जो न जपे राम नाम वो हैं किस्मत के मारे। ।
8. मेरे राम वन वन भटक रहे मेरी सिया गई तो कहाँ गई
मेरे राम वन वन भटक रहे मेरी सिया गई तो कहां गई
पेड़ और पौधों तुम ही बता दो ,
क्या फूलों में वो समाए गई , मेरी सिया गई तो कहां गई
मेरे राम वन वन भटक रहे मेरी सिया गई तो कहां गई
गंगा – यमुना तुम ही बता दो ,
क्या लहरों में वो समाए गई , मेरी सिया गई तो कहां गई
मेरे राम वन वन भटक रहे मेरी सिया गई तो कहां गई
ऋषि और मुनियों तुम ही बता दो ,
क्या जोगन होकर निकल गई , मेरी सिया गई तो कहां गई
मेरे राम वन बन भटक रहे मेरी सिया गई तो कहां गई
अंजनी के लाला तुम ही बता दो ,
क्या पापी रावण ले गया , मेरी सिया गई तो कहां गई
मेरे राम वन वन भटक रहे , मेरी सिया गई तो कहां गई
सूरज चंदा तुम ही बता दो
क्या तारों में वो समाए गई , मेरी सिया गई तो कहां गई
मेरे राम वन वन भटक रहे , मेरी सिया गई तो कहां गई
धरती अम्बर तुम ही बता दो
क्या धरती में वो समाए गई , मेरी सिया गई तो कहां गई
मेरे राम वन वन भटक रहे ,मेरी सिया गई तो कहां गई||
9. मेरे रोम रोम में बसने वाले राम
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।
आप का बंधन तोड़ चुकी हूं, तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं ।
नाथ मेरे मै, क्यूं कुछ सोचूं, तू जाने तेरा काम॥
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।
॥ हे रोम रोम मे बसने वाले राम…॥
तेरे चरण की धुल जो पायें, वो कंकर हीरा हो जाएँ ।
भाग्य मेरे जो, मैंने पाया, इन चरणों मे ध्यान॥
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।
॥ हे रोम रोम मे बसने वाले राम…॥
भेद तेरा कोई क्या पहचाने, जो तुझ सा को वो तुझे जाने ।
तेरे किये को, हम क्या देवे, भले बुरे का नाम॥
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं।
10. ठुमक चलत राम चंद्र बाजत पैजनिया
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां।
किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय।
धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियां। ।
अंचल रज अंग झारि, विविध भांति सो दुलारि।
तन मन धन वारि वारि, कहत मृदु बचनियां। ।
विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर मधुर।
सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियां। ।
तुलसीदास अति आनंद, देख के मुखारविंद।
रघुवर छबि के समान, रघुवर छबि बनियां। ।
11. आज मिथिला नगरिया निहाल सखिया
आज मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।
शेषमणि मोरिया कुंडल सोहे कनुआ,
कारी कारी कजरारी जुल्मी नयनवा,
लाल चंदन सोहे इनके भाल सखियां,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।
श्यामल श्यामल गोरे-गोरे जोड़िया जहान रे,
अखियां ने देख ली नी सुन ली ना कान रे,
जुगे जुगे जीबे जोड़ी बेमिसाल सखिया,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।
गगन मगन आज मगन धरतीया,
देखी देखी दूल्हा जी के सांवर सुरतिया,
बाल वृद्ध नर नारी सब बेहाल सखियां,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।
जेकरा लागी जोगी मुनि जप-तप कईले,
से मोरे मिथिला में पाहून बन अईले,
आज लोढ़ा से सैदाई इनके गाल सखियां,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।
आज मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।
12. सियाराम के मधुर मिलान से
सिया राम के मधुर मिलन से
फूल बगिया मुस्काये
कोयलिया कजरी गाये रे
सिया राम के मधुर मिलन से
फूल बगिया मुस्काये
कोयलिया कजरी गाये रे
तोड़ रहे थे फूल राम जी ,गिरिजा पूजन आई जानकी
तोड़ रहे थे फूल राम जी ,गिरिजा पूजन आई जानकी
छम – छम नूपुर बाजे ,
छम – छम नूपुर बाजे अब अंग अंग फड़काये
कोयलिया कजरी गाये रे
सिया राम के मधुर मिलन से
सिया राम के मधुर मिलन से
फूल बगिया मुस्काये
कोयलिया कजरी गाये रे
सिया मुख चंदा देख सामने भुला दिया सब शान राम ने
सिया मुख चंदा देख सामने भुला दिया सब शान राम ने
नैनन बाण चलाके ,
नैनन बाण चलाके ,
सखियों का मन हर्षाये
कोयलिया कजरी गाये रे
सिया राम के मधुर मिलन से
सिया राम के मधुर मिलन से
फूल बगिया मुस्काये
कोयलिया कजरी गाये रे
छबि देखि ऐसी मिथिला में राम सिया में सिया राम में
छबि देखि ऐसी मिथिला में राम सिया में सिया राम में
अति आनंद समाये
अति आनंद समाये , सखियों का मन ललचाये
कोयलिया कजरी गाये रे
सिया राम के मधुर मिलन से
सिया राम के मधुर मिलन से
फूल बगिया मुस्काये
कोयलिया कजरी गाये रे
13. श्री राम की गली में तुम जाना
श्री राम की गली में तुम जाना
वहा नाचते मिलेंगे हनुमाना
उनके तन में है राम उनके मन में है राम
अपनी आंखो से देखे कण कण मे राम
श्री राम का है वो दीवाना
वहा नाचते मिलेंगे हनुमाना
श्री……..
ऐसा राम जी से जोड़ लिया नाता
जब भी देखो उन्ही के गुण गाता
श्री राम के चरनो में ठिकाना
वहा नाचते मिलेंगे हनुमाना
श्री……..
उनसे कहना राम राम वो कहेंगे राम राम
कुछ भी सुनते नही बस सुनेंगे राम राम
महामन्त्र है भुल ना जाना
वहा नाचते मिलेंगे हनुमाना
श्री………
इतनी भक्ति वो बनवारी करने लगे
उनके सिने में राम सिया रहने लगे
इस कहानी को जानता जमाना
वहा नाचते मिलेंगे हनुमाना
श्री………
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14. राम को देख कर के जनक नंदिनी
राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी।
राम देखे सिया को सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी॥
थे जनक पुर गये देखने के लिए,
सारी सखियाँ झरोखो से झाँकन लगी।
देखते ही नजर मिल गयी प्रेम की,
जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी॥
॥ राम को देख कर के जनक नंदिनी…॥
बोली एक सखी राम को देखकर,
रच गयी है विधाता ने जोड़ी सुघर।
फिर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर,
मन में शंका बनी की बनी रह गयी॥
॥ राम को देख कर के जनक नंदिनी…॥
बोली दूसरी सखी छोटन देखन में है,
फिर चमत्कार इनका नहीं जानती।
एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी,
उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी॥
॥ राम को देख कर के जनक नंदिनी…॥
राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी।
राम देखे सिया को सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी॥
15. तेरी दो दिन की जिन्दगानी तू राम भजन कर प्राणी
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी॥ (X2)
काया-माया बादल छाया, मूरख मन काहे भरमाया।
उड़ जायेगा साँसका पंछी,फिर क्या है आनी-जानी॥
तू राम भजन कर प्राणी,तेरी दो दिन की जिन्दगानी॥
जिसने राम-नाम गुन गाया,उसको लगे ना दुखकी छाया।
निर्धनका धन राम-नाम है, मैं हूँ राम दिवानी॥
तू राम भजन कर प्राणी,तेरी दो दिन की जिन्दगानी॥
जिनके घरमें माँ नहीं है,बाबा करे ना प्यार;
ऐसे दीन अनथोंका है,राम-नाम आधार।
मुखसे बोलो रामकी बानी,मनसे बोलो रामकी बानी॥
तू राम भजन कर प्राणी,तेरी दो दिन की जिन्दगानी॥
सजन सनेही सुखके संगी,दुनियाकी है चाल दुरंगी।
नाच रहा है काल शीश पे,चेत-चेत अभिमानी॥
तू राम भजन कर प्राणी,तेरी दो दिन की जिन्दगानी॥
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी॥
16. श्री राम चंद्र कृपाल भजमन
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
17. राम भजन कर मन
राम हैं स्वनाम धनए, राम धनए नाम
राम को प्रणाम, राम नाम को प्रणाम
राम भजन कर मन
ओ मन रे कर तू
ओ मन रे कर तू राम भजन
राम भजन कर मन
राम भजन कर मन। ।
सब में राम, राम में है सब
सब में राम, राम में है सब
तुलसी के प्रभु, नानक के रब्ब
तुलसी के प्रभु, नानक के रब्ब
राम रमईया घट-घट वासी
राम रमईया घट-घट वासी
सत्य कबीर बचन
राम भजन कर मन
राम नाम में पावत पावन
रवि तेजोमय चन्द्र सुधा धन
रवि तेजोमय चन्द्र सुधा धन
राम भजन बिन ज्योति ना जागे
राम भजन बिन ज्योति ना जागे
जाए ना जीय की जरन
राम भजन कर मन
राम भजन कर मन। ।
नाम भजन में ज्योति असीमित
नाम भजन में ज्योति असीमित
मंगल दीपक कर मन दीपित
मंगल दीपक कर मन दीपित
सकल अमंगल हरण भजन है
सकल सुमंगल करन
राम भजन कर मन
राम भजन कर मन। ।
ओ मन रे कर तू
ओ मन रे कर तू राम भजन
राम भजन कर मन
राम भजन कर मन। ।
18. राम नाम राम नाम की लूट मची है
राम नाम राम नाम की लूट मची है,
लूट लो राम के नाम को
हाथ जोड़कर सर को झुकाओ,
नमन करो सुखधाम को।
श्रद्धा के भूखे प्रभु, प्यासे भावो के
रक्षा करेंगे-रक्षक है, डूबती नावों के
रिझालो इनको तुम, मना लो इनको तुम
मिटा दें गे ये गम उनके, पुकारे इनको जो दिल से
दौड़ पड़ेंगे, जब भी पुकारो, देकर प्यार के दाम को
राम नाम की……
राम नाम से हो पावन, मन का हर कोना
जैसे पारस लोहे को, कर देता सोना
सभी संकट कटे, घटा गम की छटे
प्रभु के चरणों मे बैठो, जरा सा ध्यान लगाओ तुम
राम नाम है, सबसे साँचा, जपलो तुम इस नाम को
राम नाम की…….
भक्तो पर जब भीड़ पड़ी, बड़ा है जब जब पाप
आये धरती पर प्रभु, काटने सब सन्ताप
जपो बस राम नाम, बनेंगे बिगड़े काम
किरपा जब इनकी हो जाये, तो कालिया सुख की खिल जाए
राम बिकेंगे, तुम जो खरीदो, दे कर प्यार के दाम को
राम नाम की…..
19. मेरे राम का नाम दयानिधि है
मेरे राम का नाम दयानिधि है,
वो दया तो करेंगे कभी ना कभी
दुःख हारी हर दुखियाँ जन के
दुःख कलेश हरेगे कभी न कभी,
मेरे राम का नाम दयानिधि है
जिस अंग की शोभा सुहावनी है,
जिस सवाली रंग में मोहनी है,
उस रूप सुधा के सनेहियो के,
दीर्घ प्याले भरे गे कभी न कभी न,
करुणानिधि नाम सुनाया जिन्हे,
चरणामित पान करवाया जिन्हे,
सरकार अदालत में गवाह सभी गुजरे गे कभी न कभी,
हम द्वार पे आप के आके पड़े,
मुदत से इसी जिद पे है अड़े,
भव सिंधु तरे जो बड़े जो बड़े,
बिंदु तरे गे कभी न कभी,
मेरे राम का नाम दयानिधि है
वो दया तो करेंगे कभी ना कभी। ।
20. रामनवमी सुहानी मन भावनि
रामनवमी सुहानी मन भावनि राम जी को संग लेके आई,
राम जन्म पर धरती को अम्बर भेजे रे भेजे वधाई,
चेत नवमी कल्याणी वरदायनी राम जी को संग लेके आई
हरी ने निज वचन निभाये वे सूर्य वंश में आये,
रथ सूरज देव ने रोका और आगे बढ़ न पाये,
इक महीने रहा दिन ही दिन संध्या पड़ी न दिखाई दिखाई,
रामनवमी सुहानी मन भावनि राम जी को संग लेके आई,
भय प्रगट किरपाला दीं दयाला कोश्याला हिट कर्री,
हर्शित महकारी मन ही मन हारी अध्भुत रूप निहारी,
कोश्याला दसरथ से जग ने दिव्ये परम निधि पाई रे पाई,
चेत नवमी कल्याणी वरदायनी राम जी को संग लेके आई
बाल रूप के दर्शन करने शिव जी अयोध्या धाम पधारे,
राम लला के जन्म उत्सव में देवी देव जुड़े यहाँ सारे,
प्रभु सुर नर मुनि के बिगड़े सब काज सवारने आये,
हुये देवी प्र्शन के भगवन मेरा भार उतारने आये,
नाचते गाते तीनो लोको ने प्रभु की महिमा गाई रे गाई,
रामनवमी सुहानी मन भावनि राम जी को संग लेके आई,
21. अवधपुरी में फिर से मंदिर
अवधपुरी में फिर से मंदिर
जय जय जय श्री राम
तन मन धन सर्वस्व समर्पित
बनें राम का धाम
भव्य राम का धाम
जय जय जय श्री राम
जय जय जय श्री राम
श्रेष्ठ मान मर्यादा अपने,जीवन से प्रकटाएंगे
भेदभाव सब दूर हटाकर,स्नेहामृत छलकाएंगे
हर आंगन में ज्ञान का दीपक, होंगे पूरन काम।।१।।
तन मन धन सर्वस्व समर्पित
बनें राम का धाम
भव्य राम का धाम
जय जय जय श्री राम
जय जय जय श्री राम
इस युग में शुभ परिवर्तन की,नूतन धार बहानी है
रामराज्य की अमर कथा को, धरती पर दोहरानी है
सारी जगती में मंगल हो, तब तक नहीं विराम।।२।।
तन मन धन सर्वस्व समर्पित
बने राम का धाम
भव्य राम का धाम
जय जय जय श्री राम
जय जय जय श्री राम
सत्य न्याय की पुनः प्रतिष्ठा, घर-घर में आनंद हो
नई-नई रचनाएं विकसे, सक्रिय सज्जन वृंद हो
सुगठित पावन जीवन अपना, गरजे गौरव गान।।३।।
तन मन धन सर्वस्व समर्पित
बनें राम का धाम
भव्य राम का धाम
जय जय जय श्री राम
जय जय जय श्री राम
धर्म ध्वजा जग में फहरेंगी,
आतंकों का होगा अंत
देव कृपा से दिव्य धरा ने, पाई अद्भुत शक्ति अनंत
कण-कण में भगवान विराजे, रोम रोम में राम।।४।।
तन मन धन सर्वस्व समर्पित
बने राम का धाम
भव्य राम का धाम
जय जय जय श्री राम
जय जय जय श्री राम। ।
22. राम नाम की माला जपेगा कोई दिलवाला
हरी नाम की माला जपेगा कोई दिल वाला
यह माला सीता ने जपी थी,
मिल गया राम प्यारा, जपेगा कोई दिलवाला…
यह माला राधा ने जपी थी,
मिल गया मुरली वाला, जपेगा कोई दिलवाला…
यह माला गौरां ने जपी थी,
मिल गया डमरू वाला, जपेगा कोई दिलवाला…
23. राम जी से पूछे जनक पुर के नारी
राम जी से पूछे जनकपुर के नारी बता दा बबुआ
लोगवा देत कहे गारी, बता द बबुआ
इ बूढ़ा बाबा के पक्कल पक्कल दाढ़ी -2
देखन में पातर खाये भर थारी
बता दा बबुआ
लोगवा देत कहे गारी, बता दा बबुआ
राजा दशरथ जी कइलन होशियारी – 2
एकता मरद पर तीन तीन जो नारी
बता दा बबुआ
लोगवा देत कहे गारी, बता दा बबुआ
कहथिन सनेह लता मन में बिचारिन -2
हम सब लगैछी पाहून सरहज कोई साली ब
ता दा बबुआ
लोगवा देत कहे गारी, बता दा बबुआ
तोहरा से पुछु मैं औ धनुषधारी -2
एक भाई गौर कहे एक कहे कारि
बता दा बबुआ
लोगवा देत कहे गारी, बता दा बबुआ ||
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