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दाद से बचाव करने के लिए घरेलू उपचार in Hindi

Fungal Infection, फंगल संक्रमण एक प्रकार का त्वचा संबंधी संक्रमण होता है. यह मनुष्य के शरीर की त्वचा में होने वाला संक्रमण है. यह तब होता है जब फंगस या कवक शरीर के किसी क्षेत्र में आक्रमण करते है.

इस स्थिति में कवक से प्रभावित त्वचा पर जैसे-लाल धब्बे, दाद, खुजली, त्वचा पर घाव आदि पर लक्षण दिखाई देने लगते है. यह फंगस या कवक हवा, पौधे, पानी, मिट्टी आदि की भी जगह पर विकसित हो सकती है. और यह पर्यावरण के प्रभाव के कारण दिन पर दिन बढ़ते जाते है.  

फंगल संक्रमण नवजात शिशु से लेकर वृद्धावस्था तक किसी को भी संक्रमित कर सकते है. 

फंगल संक्रमण क्या होता है- what is Fungal Infection?

आमतौर पर फंगल इन्फ़ैकशन तीन दोषों के कारण होता है- 

  1. खुजली होने पर कफ एवं पित्त का असंतुलित होना. 
  2. त्वचा पर सफ़ेद-सफ़ेद चकतों का होना. और 
  3. खुजली होने पर लाल होना और कफ एवं पित्त का असंतुलित होना. 

यदि आपको एथलीट फुट या ईस्ट इंफेक्शन हुआ है तो आपको फंगल इन्फेक्शन के बारे में अवश्य पता होगा. 

क्योंकि यह फंगल इन्फेक्शन  के ही प्रकार होते हैं,  हमारे आस पास के वातावरण में बहुत प्रकार के फंगस रहते हैं उनमें से कुछ हमारे शरीर पर बिना नुकसान पहुंचाए मौजूद रहते हैं मशरूम, फफूंदी,मोल्ड इसके उदाहरण है,  फंगस हवा में मिट्टी में पौधों पर और पानी हर जगह मौजूद रहते हैं इसके अलावा मानव शरीर में भी रहते हैं. 

अगर बात की जाएगी हानिकारक होती है यह हानिकारक नहीं होती है तो यहां आपको यह बता दिया जाता है कि प्रकार के हानिकारक नही होते हैं.   

कुछ छोटे-छोटे फंगस मोबाइल में छोटे विचारों प्रेग्नेंट करते हैं और यही छोटे बीजाणु हमारे द्वारा ली गई हवा के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं. और हमें संक्रमित कर देते हैं. 

फंगल इन्फेक्शन होना बहुत सामान्य बात होती है मनुष्य में फंगल इन्फेक्शन तब होता है जब किसी शरीर के किसी भाग में फंगस लग जाती है,  और इतनी बढ़ जाती है कि इम्यून सिस्टम इससे लड़ नहीं पाते हैं. 

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यह रोगाणुओं की तरह ही होते हैं इनमें से कुछ उपयोगी फंगस होते हैं हानिकारक भी होते हैं और यह हानिकारक नहीं भी होते हैं. जब यह हानिकारक फंगस शरीर में हमला करते हैं तो उन्हें खत्म करना मुश्किल हो सकता है. क्योंकि वह हर तरह के पर्यावरण में जीवित रह सकते हैं इतना ही नहीं स्वस्थ होने की भी कोशिश कर रहे व्यक्ति को यह पुनः संक्रमित भी कर सकते हैं. 

फंगल इंफेक्शन के प्रकार- Type of Fungal Infection in Hindi

  • एथलीट्स फुट- यह पैरों में होने वाले एक संक्रमण है जोकि बहुत आम है. इसमें कवक गरम, नम वातावरण जैसे जूते, स्विमिंग पूल, लॉकर रूम और सार्वजनिक नमी वाले पर्यावरण में तेजी से बढ़ जाते हैं. 

इसी वजह से ही गर्मियों में और नम जलवायु वाले स्थानों पर पाए जाते हैं. जूते पहनने वाले लोगों के पैरों में यह अक्सर एथलीट्स फंगल देखा जाता है. 

इसके अलावा किसी स्थान पर कई लोगों के साथ ही स्नान करने व स्विमिंग पूल में नहाने वालों में भी यह समस्या अधिक देखी जाती है. त्वचा के लाल होने से,  त्वचा के छिल जाने से,   त्वचा पर खुजली होने से, त्वचा पर जलन होने से और कभी-कभी छाले और घाव होने के कारण भी यह संक्रमण हो जाता है. 

  • दाद-  दाद त्वचा पर एक आम कवक है. यह मुख्य रूप से आपकी त्वचा,  सिर की  त्वचा,  पैरो,  जांघ,  कौन जननांगों के बीच के जुड़ने वाले हिस्से को भी प्रभावित करता है. इस तरह फंगल सामान्य किसी गोल आकार की होती है. जिसमें आपकी त्वचा लाल रंग के गोलाकार में ऊपर की ओर वही दिखाई देने लगती है. 

यदि आपको ज्यादा पसीना आता हो या नाखूनों व सिर की त्वचा में कोई चोट लगी हो तो दाद होने का खतरा सबसे अधिक होता है. 

  • मुंह में थ्रश होना- यह संक्रमण जीभ में होता है. जीभ में सफ़ेद रंग की परत होना, और अंदरूहनी गाल पर हल्के पीले रंग की परत का हो जाना. यह थ्रश के लक्षणों में से एक लक्षण है. जो लोग डायबिटीज़, कैंसर, एड्स और कोई भी पुराने रोगों के अलावा भी दवाइयों का सेवन करते है तो ये उन लोगों में आमतौर पर थ्रश देखा जा सकता है. 
  • नाखूनों में फंगस का होना-  यह एक सामान्य प्रकार का विकार होता है,  जो नाखूनों को पीला,  सफेद, नाखूनों को कमजोर, मोटा,  दरारे युक्त आदि बना देता है. 

यह अक्सर नाखूनों के ऊपरी हिस्सों को प्रभावित करता है. इसके अलावा डायबिटीज के रोगियों को भी फंगस प्रभावित करता है. अधिकांश नाखून में होने वाले फंगल इन्फेक्शन जटिलताओं का भी कारण नहीं होते हैं.त्वचा का कैंडीडायसिस/ यीस्ट संक्रमण-  कैंडिडा एलबिकंस एक सामान्य तरीका संक्रमण है जो मुंह, आंत्र  पथ और योनि में पाया जाता है. कैंडिडायसिस संक्रमण यह आमतौर पर योनि, त्वचा मुंह के श्लेष्म झिल्ली,  आदि को प्रभावित करती है. यह स्वस्थ लोगों में गंभीर नहीं होता है लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में अगर रोगी की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो यह संक्रमण शरीर के एक भाग से अन्य भागों में भी तेजी से फैल जाता है.

Fungal infection होने के लक्षण- 

  • त्वचा में लाल रंग के पैचेस का होना.
  • त्वचा पर दरारे पड़ना. 
  • रैशेज होना 
  • त्वचा में पपड़ी का जम जाना और खाल उतरना. 
  • त्वचा का लाल हो जाना. 
  • प्रभावित क्षेत्र पर सफ़ेद रंग के चूर्ण के जैसे पदार्थ का निकलना आदि. 

फंगल इंफेक्शन होने के कारण- Cause of Fungal infection in Hindi

Fungal infection होने के कारण- 

  1. फंगल इंफेक्शन होने का सबसे अहम कारण ज्यादातर वातावरण तथा नम क्षेत्र संक्रमण के होने का प्रमुख कारण है. 
  2. जिन लोगों को फंगल संक्रमण है उनके संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति को भी फंगल इनफेक्शन होने के चांसेस ज्यादा रहते हैं. 
  3. ज्यादा वजन और मोटापा भी इसका एक कारण बन सकता है. 
  4. जांघों पर अधिक चर्बी लंबे समय तक साइकिल चलाने या जोगिंग करने से इस हिस्से में अधिक नमी और रगड़ होने लगती है जिसके कारण रगड़ से त्वचा में रेसेज होते हैं. 
  5. अधिक पसीना आने से फंगस के बढ़ने के कारण और भी बढ़ जाते हैं. 
  6. पाउडर, डियोडरेंट आदि उत्पादों का इस्तेमाल और डिटर्जेंट पाउडर रैसेज होने का कारण बन जाते हैं इनसे जांघों के बीच के ग्रॉइन एरिया में रैसेज हो जाते हैं.
  7. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली भी फंगल संक्रमण का कारण होती है. 
  8. कैंसर,डायबिटीज, एड्स, एचआईवी, आदि जैसी बीमारियां भी फंगल संक्रमण का कारण होती हैं. 
  9. महिलाओं को सेनेटरी पैड से भी जांघों के आसपास संक्रमण हो जाता है. 
  10. कई बार बच्चों को नैपी रैसिज हो जाते हैं यह तब होता है जब बच्चा अधिक समय तक गिले नैपी पैड, या गीले कपड़े अधिक समय तक पहने रहता है तो उसे ऐसी परेशानी हो सकती है. और फंगल इन्फ़ैकशन हो जाते है.
  11. त्वचा पर फफूंद संक्रमण यानी बरसाती मौसम और नमी भरे वातावरण में  संक्रमण का आक्रमण अधिक बढ़ जाता है. 
  12. मानसून के दौरान फंगल पैदा करने वाले जीवाणु कई गुना तेजी से फैलते हैं.  आमतौर पर शरीर के कुछ भागों को नजरंदाज किया जाता है जैसे पैर की उंगलियों के आगे का भाग, उंगलियों के बीच का भाग, कमर का निचला हिस्सा आदि यह संक्रमण इन भागों में बहुत ही तेजी से आक्रमण करते हैं. 
  13. मानसून के दौरान लोग हल्की बुंदा-बांदी में भीगते है इसके बाद लोग अकसर त्वचा को गिला छोड़ देते हैं, यह छोटी-सी असावधानी कई बार फंगल से संक्रमित होने का कारण बन जाती है. क्योंकि यह संक्रमण नमी के कारण और अधिक बढ़ जाता है. 

आमतौर पर यही कारण है कि इन दिनों अधिकतर लोग फंगल इनफेक्शन का शिकार होते जा रहे हैं. इम्यूनिटी सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना स्किन इनफेक्शन की सबसे बड़ी वजह होती है. इन मामलों में त्वचा संक्रमण का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है. जुलाई और अगस्त के महीने के दौरान यह समस्या अधिक देखी जाती है.

फंगल इन्फ़ैकशन के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न कुछ इस प्रकार है-

फंगल संक्रमण क्या है? 

फंगल संक्रमण के प्रकार क्या है?

फंगल संक्रमण होने के कारण क्या है? 

फंगल संक्रमण होने के क्या लक्षण हैं? 

फंगल संक्रमण से कैसे बचाव करें? 

फंगल संक्रमण के घरेलू उपचार क्या हैं? 

What is fungal infection

What is the type of fungal infection?

What causes fungal infections?

What are the symptoms of having a fungal infection?

How to prevent fungal infection?

What are the home remedies for fungal infection?

Home Remedies of Fungal Infection in Hindi

फंगल स्किन इनफेक्शन के बारे में पर बहुत जानकारी मालूम कर चुके हैं, यह कई तरह के फफूंद की वजह से होता है डर्मेटोफाइट्स और यीस्ट प्रमुख है. 

फफूंद मृत केराटिन में पड़ता है और धीरे-धीरे शरीर के नाम स्थानों में फैल जाता है. जैसे पैर की एड़ी और पैर के नाखून. तो हमारे शरीर को किसी भी तरह के संक्रमण और बैक्टीरिया से बचाती है. 

आजकल की सक्रिय जीवन शैली होने के कारण फंगल इंफेक्शन किसी को भी आसानी से प्रभावित कर सकता है लेकिन कुछ आसान घरेलू उपचारों से संक्रमण को राहत मिल सकती है, जिसके बारे में अभी हम आपको बताएंगे- 

नीम 

नीम त्वचा के किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने में बहुत ही मददगार होता है और साथ ही बहुत लाभकारी भी होता है. नीम के पानी या नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी का प्रयोग दिन में कई बार त्वचा करने से फंगल इन्फेक्शन होने का खतरा कम रहता है. 

कपूर 

केरोसिन का तेल( 5 ग्राम) और नेप्थलीन( 1 ग्राम) को एक साथ मिला दे. और जिस जगह संक्रमण हो उस जगह इस मिशन को तक मरहम की तरह लगाकर छोड़ दें. जब तक रोग ठीक ना हो जाए, इस उपाय का प्रयोग करते रहे, इस उपाय को दिन में दो बार अवश्य से प्रयोग करें. 

हल्दी

हल्दी का प्रयोग रोग को ठीक करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है,  प्रभावित हिस्से पर हल्दी का प्रयोग करने से संक्रमण ठीक होता है. इसके लिए पानी में हल्दी मिला ले और प्रभावित जगह को हल्दी मिले पानी से धोना बहुत फायदेमंद होता है. ऐसे नियमित रूप से करने पर संक्रमण का प्रभाव कम होने लगता है. अगर संक्रमण की जगह पर हल्दी का पेस्ट बनाकर लगा दिया जाए तो इससे भी बहुत रहता है. 

पीपल की पत्तियां  

संक्रमण के लिए पीपल की पत्तियां बहुत ही लाभकारी होती हैं. पीपल की पत्तियों को थोड़े पानी में उबाल लें ठंडा होने के लिए रख दें. इस पानी को प्रभावित त्वचा को धोने के लिए प्रयोग करें   इससे घाव या संक्रमित जगह जल्दी से ठीक हो जाती हैं. 

पुदीना  

पुदीने में संक्रमण के प्रभाव को नष्ट करने की अधिक क्षमता होती है पुदीने की पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट बना ले. इस पुदीने के पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं और 1 घंटे तक लगे रहने दे इससे संक्रमण जल्दी खत्म होगा

आज का यह लेख आपके लिए बहुत लाभकारी साबित होगा. त्वचा के संक्रमित होने पर उसे अनदेखा न करें. अपने डॉक्टर व चिकित्सक को या किसी अच्छे स्किन डॉक्टर को जरूर दिखाएँ. और घाव के बढ़ने से पहले ही सही ढंग से इलाज़ करवा लें. इस लेख को आप Whatsapp, Instagram, Twitter, Facebook आदि पर share कर सकते है.  

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