THE GHARELU UPCHAR BY SONI 10 Lines,Uncategorized Top 10 lines on Vande Mataram/National Song in Hindi

Top 10 lines on Vande Mataram/National Song in Hindi

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वंदे मातरम (Vande Mataram) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी in Hindi

Know about Vande Mataram, 1870 के दौरान  अंग्रेजी हुक्मरानों ने ‘ गॉड  सेव द क्वीन’ एक गाना अनिवार्य कर दिया था,  इस आदेश से बंकिम  चंद चटर्जी को  बहुत  आहत पहुंचा था,  जिसके कारण उन्हें पहुंची और इसी पीड़ा से जन्म हुआ आजादी के अमर गीत वंदे मातरम का. जो राष्ट्रीय गीत बना.  इस गीत की रचना 7 नवंबर 18 से थिएटर में बंगाल के कांतलपाड़ा गांव में हुई थी. 

वंदे मातरम को 1882 में वंकिम चटर्जी ने अपने लोकप्रिय उपन्यास ‘आनंद मठ’ में सम्मिलित किया था. जो की देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत 1 राज्यों के उपन्यास है जिसमें उत्तर बंगाल में 1762 से 1773 तक के सन्यासी विद्रोह का वर्णन है, जिनका आदर्श वाक्य था ‘ ॐ वंदे मातरम’.  

आज का लेख वंदे मातरम पर है जिसके बारे मे मैं आपको सम्पूर्ण जानकारी देने जा रही हूँ. यह लेख विध्यार्थियों के लिए बहुत ही लाभकारी है जिसे पढ़कर ही वंदे मातरम के बारे में पूरी जानकारी हो जाएगी. मैं आपको मेरे लेख में अलग-अलग भाषाओं में राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” मिलेंगे जो अलग अलग राज्य के लोग भी जान सकेंगे.  

राष्ट्रीय गीत का निर्माण-

 सन 1870 के दौरान अंग्रेज हुक्मरानों ने गॉड से बिक्री गीत गाया जाना अनिवार्य कर दिया था, अंग्रेजों के इस आदेश से  बंकिम चंद्र चटर्जी को आहत पहुंचा था जो तब एक सरकारी अधिकारी थे उन्हें बहुत ठेस पहुंची थी और उन्होंने संभवत 1876 में इसके विकल्प के तौर पर संस्कृत और बांग्ला के मिशन में से एक नए गीत की रचना की और उसका शीर्षक  “वंदे मातरम” का दिया.  वैसे शुरुआत में तो इसके  केवल 2 पद रचे गए थे जो केवल संस्कृत में थे. 

 राष्ट्रीय गीत का विरोध- Vande Matarm ka Virodh

 राष्ट्रीय गीत के पहले दो छंदों में मातृभूमि की सुंदरता का गीत आत्मक वर्णन किया गया था परंतु अट्ठारह सौ अस्सी के दशक में मध्य में गीत को नया आयाम मिलना शुरू हो गया ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बंकिम चंद्र ने 18 सो 81 में अपने उपन्यास आनंदमठ में इस गीत को सम्मिलित कर दिया था.  उसके बाद कहानी की मांग को देखते हुए उन्होंने इस गीत को और लंबा कर दिया था.  बाद में जोड़े गए हिस्से में ही  दशप्रहरणधारिणी,  कमला, और वाणी के उदाहरण दे गए  हैं.  बंकिमचंद्र एक लेखक थे जिन्हें ऐसा करने का पूरा अधिकार था. इस गीत को लेकर तुरंत कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं हुई यानी तब तू किसी ने ऐसा नहीं कहा कि यह मूर्ति की वंदना करने वाला गीत है या राष्ट्रीय गीत नहीं है.  काफी समय बाद जो विभाजन कारी मुस्लिम और  हिंदू सांप्रदायिक ताकतें उभरी तो यह राष्ट्रगीत से एक ऐसा गीत बन गया जिसमें सांप्रदायिक निहितार्थ थे.  सन 1920 और 1930 के दशक में इस गीत का विरोध होना शुरू हुआ था. 

10 Lines on National Song Vande Matram in Hindi

  • वंदे मातरम हमारा राष्ट्रिय गीत है, जिसके रचीयता वंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय है . 
  • वंदे मातरम 6 छंदो का संग्रह है. 
  • राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम हिन्दी, कन्नड, तमिल, मराठी, गुजरती, तेलुगू आदि कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है. 
  • इस गीत ने 1905 वर्ष में साम्राज्य के खिलाफ स्वदेशी आंदोलन को दिशा देने में सहयोग दिया. 
  • राष्ट्रीय गीत एकता का प्रतीक है और सद्भाव और शांति का संदेश failata hai 
  • हीरालाल सिंह जो प्रसिद्ध फिल्म निर्माता हैं ने वर्ष 1905  एक फिल्म बनाई जिसमें उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय गीत का पाठ भी किया  गया था.
  • भीकाजी कामा द्वारा 1960 में बनाए गए भारतीय ध्वज के पहले संस्करण में वंदे मातरम था.
  • वंदे मातरम शब्द रूप संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है “भारत माता का बहुत बड़ा सम्मान” .
  • वंदे मातरम को कई क्षेत्रीय राष्ट्रीय कार्यक्रमों के विभिन्न प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा गाया गया है.

10 वाक्य वंदे मातरम (Vande Mataram) पर इन हिंदी

  1. वंदे मातरम शब्द मूल रूप से संस्कृत का शब्द है,  जिसका सरल भाषा में अर्थ है भारत माता का बहुत बड़ा सम्मान.
  2.  वंदे मातरम हमारा राष्ट्रीय गीत है जिसके रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय है.1870 में बंगाली और संस्कृत में लिखा गया था.  
  3.  राष्ट्रीय गीत Vande Mataram को पहली बार रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा वर्ष 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने की बैठक में गाया गया था. जो केवल 6 छंदो का संग्रह है. 
  4. ” I bow to thee, Mother”, राष्ट्रीय गीत का अंग्रेजी संस्करण है,  जिसे इस शीर्षक से बनाया गया है. 
  5. राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के बलिदान को श्रद्धांजलि देने वाला गीत है जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था. 
  6. अरविंदो घोष  जो कि एक  प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता है,  “वंदे मातरम” को बंगाल का गान करार दिया.
  7. 1881 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा  ‘वंदे मातरम’ बंगाली कथा उपन्यास आनंदमठ में एक कविता के रूप में प्रकाशित किया गया था. 
  8. 1910 में स्वदेशी आंदोलन के दौरान वंदे मातरम शब्द  को एक नारा के रूप में चिल्लाया  गया था,  जिसका मकसद था भारतीय क्रांतिकारियों और राष्ट्रवादी नेताओं  अंदर की भावना पैदा करना था. 
  9. वंदे मातरम को कई क्षेत्रीय राष्ट्रीय कार्यक्रमों के विभिन्न प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा गाया गया. 
  10.  एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता हीरा लाल सिंह ने 1905 में फिल्म बनाई जिसमें उन्होने भारतीय राष्ट्रीय गीत का पाठ भी किया था. 

वर्ष 2002 में  बीबीसी के एक सर्वेक्षण के अनुसार ‘वंदे मातरम’ विश्व का दूसरा लोकप्रिय गीत बना. जनरेशन चल रहे थे उस समय के  सबसे लिए दुनिया भर से लगभग 7000 गीतों को चुना गया और करीब 155 देशों के लोगों ने इस बार मतदान किया था इस सर्वे में Vande Mataram शीर्ष 10 गीतो में दूसरे स्थान पर रहा था. 

आइये वंदे मातरम के बारे में जो कुछ भी जाना है उसके बारे नीचे लिखा है जिसे आप अपने जीवन में गा चुके है, गा रहे है और गाएँगे. 

“वन्दे मातरम्

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्

शस्य श्यामलां मातरं

शुभ्र ज्योत्स्न पुलकित यामिनीम

फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,

सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्

सुखदां वरदां मातरम् .. वन्दे मातरम् दोत्स

सप्त कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले

निसप्त कोटि भुजैध्रुत खरकरवाले

के बोले मा तुमी अबले

बहुबल धारिणीं नमामि तारिणीम्

रिपुदलवारिणीं मातरम् .. वन्दे मातरम् दोत्स

तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि हृदि तुमि मर्म

त्वं हि प्राणाः शरीरे

बाहुते तुमि मा शक्ति,

हृदये तुमि मा भक्ति,

तोमारै प्रतिमा गडि मंदिरे मंदिरे .. वन्दे मातरम् दोत्स

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी

कमला कमलदल विहारिणी

वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्

नमामि कमलां अमलां अतुलाम्

सुजलां सुफलां मातरम् .. वन्दे मातरम् दोत्स

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्

धरणीं भरणीं मातरम् .. वन्दे मातरम् दोत्स

वन्दे मातरम् गीत के पहले 2 पंक्तियों का हिंदी अर्थ Vande Mataram Hindi Meaning

“माँ , मैं आपको नतमस्थक करता हूँ

आपके चंचल जलधारा से सिंचित,

उज्जवल बगान जैसे रौशनी से हैं

ख़ुशी की हवा से राहत भरी

हर क्षेत्र से आप पराक्रम की माँ

आजाद माँ

कीर्ति भरे चन्द्रमा से उज्जवलित स्वप्न

आपके शाखाओ और रूहानी जलधारा

आप हरे भरे पेड़ो से ढके हैं

माता, आप सरलता का श्रोत हो

मीठी ओर धीमी मुस्कराहट के साथ,

माँ में आपके चरण चूमता हूँ,

मीठी ओर धीमी भाषा की मूरत,

माता मैं आपके चरणों पर नतमस्तक करता हूँ”

राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् का महत्व Importance of National Song Vande Mataram

वन्दे मातरम् गीत के महत्व को संक्षेप में अरविंद घोष ने आगे रखा है, “वंदे मातरम्” राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति थी. यह पूरी तरह से भारत भर में फैल गया और लाखों के होंठों पर था ” कैम्ब्रिज के विद्वानों ने इस गीत को “स्वदेशी आंदोलन का सबसे बड़ा और सबसे स्थायी उपहार” माना.

 वंदे मातरम गायन

15 अगस्त 1947 को प्रातः 6:30 बजे आकाशवाणी से पंडित ओमकारनाथ ठाकुर का राग देश में निबंध वंदे मातरम के गायन का सजीव प्रसारण हुआ था, आजादी की सुहानी सुबह में देशवासियों के कानों में राष्ट्रभक्ति का मंत्र फूकने में वंदे मातरम की भूमिका अविस्मरणीय थी.  ओंकार नाथ जी ने पूरा गीत स्टूडियो में खड़े होकर ही गया था अर्थात उन्होंने इसे राष्ट्रीय गीत के तौर पर पूरा सम्मान भी दिया.  इस प्रसारण का पूरा श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है पंडित ओंकार ठाकुर का यह गीत भी ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया के रिकॉर्ड संख्या में STC 0487102 मौजूद है. 

राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की मान्यता

 1950 24 जनवरी को संविधान सभा ने निर्णय लिया कि स्वतंत्र संग्राम में Vande Mataram गीत की उल्लेखनीय भूमिका को देखते हुए इस गीत की प्रथम दो अंतरों को जन गण मन के  समकक्ष मान्यता दी जाए. 

 वंदे मातरम को राष्ट्रगान के समकक्ष मान्यता मिल जाने पर अनेक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अफसरों पर वंदे मातरम गीत को स्थान मिला.  जिसका निर्णय डॉ राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में सुनाया था. 

 आज भी वंदे मातरम को आकाशवाणी के सभी केंद्रों का प्रसारण होता है. आज भी कई सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं में वंदे मातरम गीत का पूरा पूरा गायन किया जाता है,  विद्यालयों में प्रार्थना के टाइम पर वंदे मातरम की आकाशवाणी का प्रसारण होता है.

 वंदे मातरम का इतिहास-History of Vande Mataram

 सन उन्नीस सौ पांच के बंगाल के स्वदेशी आंदोलन ने Vande Mataram को राजनीतिक नाले में तब्दील कर दिया था.  रविंद्र नाथ टैगोर ने राष्ट्रवादी विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करते हुए इसे गाया था और अरविंद घोष ने उनकी चंद्र को राष्ट्रवाद का ऋषि कहकर पुकारा था. 

 सुब्रमण्यम भारती सन 1920 तक तथा दूसरों के हाथों विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित होकर यह गीत राष्ट्रीय गान की हैसियत पा चुका था.  सन 1930 के दशक में वंदे मातरम अनुदित करने एवं उसके हैसियत पर विवाद उठा था और लोग इस गीत को मूर्तिपूजक ता को लेकर आपत्ति उठाने लगे थे. 

 सन 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस गीत के अंशों को छांट दिया जिनमें बुत परस्ती के भाव ज्यादा प्रबल थे और गीत के संपादित अंश को राष्ट्रगान के रूप में अपना लिया यह सब जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित एक समिति  की सलाह पर हुआ. 

गीत के ऐतिहासिक तथ्य-

  1.  बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 18 से 76 में बंगाल के कान तलवाड़ा गांव में इसकी रचना हुई थी. 
  2.  बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ में 1882 में वंदे मातरम को सम्मिलित किया. 
  3.   रविंद्र नाथ टैगोर ने पहली बार 1896 में  वंदे मातरम को बंगाली शैली में ले और संगीत के साथ कोलकाता के कांग्रेसी अधिवेशन में गाया. 
  4.  वंदे मातरम का अंग्रेजी में अनुवाद सर्वप्रथम अरविंद घोष ने ही किया था. 
  5.  1905  के दिसंबर में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में गीत को राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्रदान किया गया.  बंग-भंग आंदोलन में वंदे मातरम राष्ट्रीय नारा बना. 
  6.  पंडित जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस, और आचार्य नरेंद्र देव की समिति ने सन 1937 28 अक्टूबर को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पेश अपनी एक रिपोर्ट में इस राष्ट्रीय गीत के गायन को अनिवार्यता से मुक्त रखते हुए कहा था कि इस गीत के शुरुआती 2 पदों प्रासंगिक हैं इस समिति का मार्गदर्शन रविंद्र नाथ टैगोर ने किया.
  7. सन 1947 14 अगस्त की रात्रि में संविधान सभा की पहली बैठक का प्रारंभ वंदे मातरम के साथ हुआ और समापन जन गण मन के साथ हुआ था. 
  8.  सन उन्नीस सौ छह में वंदे मातरम देवनागरी लिपि में प्रस्तुत किया गया कांग्रेसी के कोलकाता अधिवेशन में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने इसका संशोधित रूप प्रस्तुत किया. 
  9.   सन 1950 मैं वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत बनाया और जन गण मन राष्ट्रीय गान बना. 
  10.  बीबीसी के एक सर्वेक्षण के अनुसार 2002 में वंदे मातरम विश्व का दूसरा सर्वाधिक लोकप्रिय गीत बना.  2002 में वंदे मातरम  दूसरे स्थान पर सर्वाधिक लोकप्रिय गीत  बना. 

राष्ट्रीय गीत का महत्व

 राष्ट्रीय गीत का महत्व यह है कि यह राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने में गीत-संगीत और नृत्य की महत्व दर्शाता है,  लोगों को एक सूत्र में बांधने के साथ ही संगीत मन को  खुशी देती है.  जैसा कि आप ऊपर जान चुके हैं सर्वप्रथम अट्ठारह सौ बयासी में प्रकाशित इस गीत को पहले पहल 7 सितंबर 1950 में कांग्रेस अधिवेशन में राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया गया था.  इसलिए इसे सन् 2005 में 100 साल पूरे होने के उपलक्ष में 1 साल के समारोह का आयोजन किया गया था.  7 सितंबर सन 2006 में इस समारोह के समापन के अवसर पर मानव संसाधन मंत्रालय ने इस गीत को स्कूलों में गाए जाने पर अधिक बल दिया.   इसका विरोध होने पर उस समय के मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने संसद में कहा कि-” गीत गाना किसी के लिए आवश्यक नहीं किया गया है यह स्वेच्छा पर निर्भर करता है”. 

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