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What is yoga, types, rules, organs, complete information about yoga in Hindi

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योग क्या है, प्रकार, नियम, अंग, योग की सम्पूर्ण जानकारी in Hindi

Know about yoga, योग/ योगा क्या आप जानते है इसके बारे में? यह तो सभी जानते है की योगा शारीरिक और मानसिक स्थिति को बनाए रखने के लिए और स्वास्थ्य को बनाए रखने फिट रहने के लिए आदि के लिए की जाती है. लेकिन इसके बारे में और जानकारी अधिकतर लोगों को नहीं पता होती है, जैसे- 

“योग क्या है?”, “योग करने के क्या लाभ है?”, “योग करने से क्या हानि है?”, “योग क्यों किया जाता है?”, “योग के कितने प्रकार होते है?” आदि. यह सभी प्रश्न आपके लिए जानने बहुत जरूरी है. क्योंकि अगर कोई चीज़ हमारे लिए जीतने फायदेमंद है उतनी ही नुकसानदायक भी है. इस लेख में आपको योग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी. 

योग क्या है? योग की सम्पूर्ण जानकारी in Hindi 

yoga सही प्रकार से जीने का विज्ञान है. योग हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, आध्यात्मिक, भावनात्मक, आत्मिक आदि पहलुओं पर कार्य करते है. 

योग का अर्थ- संस्कृत धातु ‘युज’ से निकला है, जिसका मतलब “व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन” है. योग…. भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी शैली है. 

कई लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं,  जहाँ लोग शरीर को मोडते, मरोड़ते, और खींचते हैं यही नहीं श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं. यह वास्तव में केवल मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमता का खुलासा करने वाले इस गहन विज्ञान के सबसे सही और महत्वपूर्ण पहलू हैं, योग का अर्थ इन सब से कहीं विशाल है.

और अधिक जाने…… 

योग एक प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धति है. जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है या यह मान लें की योग की अहम भूमिका होती है. योग के माध्यम से शरीर, मन और मानसिकता को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है. 

शरीर, मन और मस्तिष्क तीनों के स्वस्थ रहने से हमें खुद को स्वस्थ महसूस होता हैं. योग करने से न सिर्फ बीमारियां खत्म होती है, बल्कि योग करने से कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक तकलीफों से भी दूरी बनाई जा सकती है. 

योग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाकर जीवन में नई ऊर्जा भर देता है. Yoga करने से पूरा शरीर शक्तिशाली और साथ ही लचीला बना रहता है यही नहीं तनाव से भी छुटकारा मिलता है जो रोजमर्रा की ज़िंदगी और काम काजी जीवन के लिए बहुत ही आवश्यक है. योग आसन और मुद्राएं शारीरिक और मानसिकता दोनों को क्रियाशील बनाए रखती हैं. 

क्या आप जानते है “योग क्या है?”,  “योग कैसे और किस प्रकार किया जाता है?”, “ योग शारीरिक और मानसिक रूप से कैसे काम करता है?”, “योग किस प्रकार से कार्य करता है?”, “ विभिन्न बीमारियों को दूर करने के लिए योग कैसे करें?”, “ योग के क्या फायदे हैं?”. 

योगा सभी के लिए महत्वपूर्ण है जाने कैसे- 

  • बुढे या युवा, स्वस्थ (फिट) या कमजोर सभी के लिए योग का शारीरिक अभ्यास लाभप्रद है और यह सभी को उन्नति की ओर ले जाता है.  
  • उम्र के साथ-साथ आपकी आसन की समझ ओर अधिक परिष्कृत होती जाती है. हम बाहरी सीध और योगासन के तकनीकी (बनावट) पर काम करने बाद अन्दरूनी सूक्ष्मता पर अधिक कार्य करने लगते है और अंततः हम सिर्फ आसन में ही जा रहे होते हैं. 
  • योग हमारे लिए कभी भी अनजाना नहीं रहा है. हम यह तब से कर रहे हैं जब हम एक बच्चे थे. चाहे यह “बिल्ली खिंचाव” आसन हो जो रीढ़ को मजबूत करता है या पवन-मुक्त आसन जो पाचन को बढ़ाता है. 
  •  हम हमेशा शिशुओं को पूरे दिन योग के कुछ न कुछ रूप करते पाएंगे. बहुत से लोगों के लिए योग के बहुत से मायने हो सकते हैं. योग के माध्यम से मानव जीवन की दिशा को तय करने में मदद मिलती है. 

यह जानकारी थी योग के बारे में की योग होता क्या है, योग की उत्पत्ति आदि की जानकारी दी गई है.

अब बात करते है योगा के प्रकार, या योग कितने होते है और उनके क्या-क्या लाभ होते है. 

योग कितने प्रकार के होते है/ What are the Type of Yoga in Hindi

yoga 4 प्रकार के होते हैं-

  1. राज योग-

राज योग यह योग का पहला प्रकार है. राज का सीधा अर्थ है “शाही”, राज योग के 8 अंग होते हैं जिसे अष्टांग भी कहा जाता है. यह 8 प्रकार के होते हैं यही कारण है कि पतंजलि में इसका नाम अष्टांग रखा. जिसे योग सूत्र में पतंजलि ने उल्लिखित किया. 

आइए जानते हैं इसके 8 प्रकार या अंग कौन से हैं-

  • यम(शपथ लेना)
  • नियम(आत्म अनुशासन)
  • आसान 
  • प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)
  • प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण)
  • धारण (एकाग्रता)
  • ध्यान (मेडिटेशन)
  • समाधि (परमानंद)

इनके बारे में विस्तार से जानेंगे.

2. कर्म योग-

कर्म योग जिसे सेवा का मार्ग है. यह एक ऐसा मार्ग है जिससे हम में से कोई भी नहीं बच सकता. इसका यह सिद्धांत है की जो आज हम अनुभव करते है वह हमारे कार्यों द्वारा अतीत में बनाया गया है. इस योग को अपनाने से हम वर्तमान को अच्छा भविष्य बनाने का एक पहलू बना सकते है. इसका महत्वपूर्ण कार्य नकारात्मकता और स्वार्थ से बाध्य होने से मुक्त करता है.

3. भक्ति योग-

भक्ति योग भक्ति के मार्ग का वर्णन करती है. भक्ति योग भावनाओं को नियंत्रित करने का एक सकारात्मक तरीका है. भक्ति योग का मार्ग हम सभी के लिए स्वीकार्यता और सहिष्णुता पैदा करने का अवसर प्रदान करता है. 

4. ज्ञान योग-

अगर हम भक्ति को मन का योग मानते है तो ज्ञान को बुद्धि का योग है. इसे ऋषि और विद्वान का मार्ग कहा जाता है. इस मार्ग पर चलने के लिए ग्रंथो का ज्ञान होना आवश्यक है. यह ग्रंथ बुद्धि का विकास करने में सहायक होते है. 

ज्ञान का मार्ग सबसे कठिन माना जाता है और साथ ही प्रत्यक्ष. यह मार्ग उन लोगो को आकर्षित करता है जो बौद्धिक रूप से इच्छुक है. 

योग करने के 15 सम्पूर्ण नियम/15 Complete Rules of Doing Yoga in Hindi

  1. योग करने का सही और उचित समय सूर्योदय और सूर्यास्त है. 
  2. योगा करने से पहले स्नान करना सही होता है. 
  3. योगा खाली पेट ही करें योगा करने के 2 घंटे पहले कुछ न खाएं. 
  4. योगा करने के लिए आरामदायक सूती कपड़े पहने. 
  5. किसी पार्क में हरी घास और शांति वाले स्थान पर ही योग करें. 
  6. योगा करते समय आप सभी बातों को भूल कर सिर्फ योग पर ध्यान केन्द्रित करें. 
  7. योगा धैर्य और दृढ्ता से करें. 
  8. योग करते समय शरीर पर ज्यादा ज़ोर-ज़बरदस्ती न करें. 
  9. एक बार योग करने से कुछ नहीं होता, यह निरंतर जारी रखें. 
  10.  योगा करने के आधे घंटे बाद कुछ खाना नहीं चाहिए. इसलिए आधे घंटे तक कुछ न खाएं. 
  11.  योगा करने के 1 घंटे बाद ही स्नान करें. 
  12.  अगर आप एक मेडिकल पैसेंट है तो योगा करने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें. 
  13.  अगर किसी भी प्रकार की शारीरिक तकलीफ़ें बढ़े या कोई नई तकलीफ हो जाए तो योगाभ्यास को तुरंत रोक दें. 
  14.  प्राणायाम हमेशा आसान अभ्यास करने के बाद ही करें. 
  15.  योगाभ्यास के अंत में हमेशा शवासन करें.  

अष्टांग योग कौन से है

  1. यम योग 

यम योग मन की शांति के लिए किया जाता है, यम योग न केवल मन की शांति रखता है बल्कि मनुष्य के मन में सच्चाई के भाव भी पैदा हो जाते है. 

यह योग अनुशासन की एक ऐसी क्रिया है जिसे करने से मनुष्य में अहिंसा खत्म होती है, और साथ ही चोरी करने की आदत से छुटकारा मिलता है, सच्चाई के रास्ते को चुनने में मदद करता है, और मनुष्य में त्याग की भावना उत्पन्न हो जाती है, और मनुष्य का मन पवित्रता की ओर जाता है. तथा पवित्रता से भर जाता है जोकि एक मनुष्य जीवन के लिए बहुत ही महत्व पूर्ण होता है. यम योगा बहुत ही जरूरी होता है. 

  1. नियम(आत्म अनुशासन)

नियम का मतलब ही अनुशासन से जुड़ा हुआ होता है और अनुशासन मनुष्य जीवन के लिए उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना की मछलियों को पानी.

नियम मनुष्य के शारीरिक कार्यों से ताल्लुक रखता है जैसे मनुष्य के शरीर तथा मन में संतोष अथवा शुद्धि का काम करती है. नियम योगा करने से मनुष्य के भीतर छुपे ईर्ष्या को मिटाने में मदद करता है. 

  1. आसान 

इसको पद्मासन के नाम से भी पुकार सकते है, क्या आप जानते है की पद्मासन होता है? तो आइये जानते है पद्मासन में रीढ़ की हड्डी को पूरा सीधा रखकर और पैर को किसी दिशा की ओर जो निश्चित हो में रखकर बैठने को ही पद्मासन कहते है. 

आसान में मनुष्य के शरीर को अधिक से अधिक समय के लिए किसी विशेष दिशा की स्थिति में रखते है.  आसन योग अनुशासन बनाए रखने के योग्य है. 

  1. प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)

सांस का नियंत्रण और विस्तार करना ही प्राणायाम है. साँस लेने की उचित तकनीकों का अभ्यास रक्त और मस्तिष्क को अधिक आक्सीजन देने के लिए, अंततः प्राण या महत्वपूर्ण जीवन ऊर्जा को नियंत्रित करने में मदद करता है. प्राणायाम भी विभिन्न योग आसन के साथ-साथ चलता जाता है. योग आसन और प्राणायाम का संयोग शरीर और मन के लिए, शुद्धि और आत्म अनुशासन का उच्चतम रूप माना गया है. प्राणायाम तकनीक हमें ध्यान का एक गहरा अनुभव प्राप्त करने हेतु भी तैयार करती है. 

  1. प्रत्याहार 

जब वासनाओं की ओर इंद्रियाँ बढ़ती जाती है तो इन इंद्रियों को स्थिर रखने के लिए ही प्रत्याहार योग किया जाता है. 

प्रत्याहार एक कछुए की भांति कार्य करता है जैसे कछुआ अपने अंगो को समेट लेता है ठीक उसी प्रकार से प्रत्याहार भी सभी इंद्रियों को घातक वासनाओं को  समेट लेता है, और व्यक्ति के जीवन को सुखमय बना देता है. 

प्रत्याहार योग करने से मनुष्य शक्तिशाली और सेहतमंद हो जाता है.  इसका अर्थ यह हुआ की मनुष्य का अनावश्यक कार्यों से ध्यान हट जाना. 

व्यक्ति भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यर्थ कार्य करता है जैसे:- चिंता करना, व्यर्थ बातों को सोचना, नाक से अनावश्यक सुगंध को सूंघना, आंखों से व्यर्थ दृश्य देखते रहना, व्यर्थ बातें करते रहना, आदि

ये सभी कार्य व्यर्थ है इन सभी कार्यों पर रोक लगाने के लिए प्रत्याहार योग किया जाता है जो मनुष्य को शक्तिशाली और सेहतमंद बना देता है. 

  1. धारण (एकाग्रता)

धारणा योगा का अर्थ है मन की एकाग्रता. यानि मन को किसी विशेष या निश्चित जगह लगाना. 

जब मनुष्य का ध्यान एक ही विषय में होगा तब मनुष्य में एक महान शक्ति उत्पन्न होती है जिससे वह एक ही विषय में ध्यान केन्द्र करके अपने मन की इच्छा पूरी करता है. 

इस योग से मनुष्य का मन एक जगह निश्चित हो जाता है और वह एक ही विषय पर ध्यान देता है. 

  1. ध्यान (मेडिटेशन)

ध्यान का अर्थ एकाग्रता से नहीं लगया जा सकता, ध्यान को एक बल्ब के स्वरूप होता है जो केवल रोशनी फैलाना जानता है. मनुष्य जीवन में ध्यान की कमी होती है. इसलिए वह कुछ नही समझ पता. 

प्राचीन काल में ऋषि मुनि ध्यान सूरज के प्रति समझा जाता था जो की  सामने मनुष्य की हर क्रिया का पता लगा लेते थे, आज के समय में ध्यान का अभाव है. 

ध्यान लगाने से मतलब ये नही है की 5 मिनट ईश्वर का ध्यान लगाओ, या माला जपने, या फिर किसी मूर्ति का स्मरण करने से,आदि का अर्थ ध्यान से नही लगाया जा सकता, बल्कि ध्यान का अर्थ है विचारों और क्रियाओं से मुक्ति. 

  1. समाधि (परमानंद)

समाधि योग का अर्थ “मोक्ष एवं मनुष्य का जन्म,मरण और मोह माया सब त्याग कर आत्मवान” होना है. 

जो व्यक्ति समाधि में लीन होता है उसे सुख-दुख, भूख-प्यास, मान-सम्मान, सर्दी-गर्मी,ऋतुओं आदि का स्मरण नहीं होता है.  यहाँ तक की समाधि में लीन होने के बाद व्यक्ति को अपने-पराये का आभास भी नहीं होता. 

समाधि योगा करते समय मानवीय आत्मा केवल ईश्वर के ध्यान में लीन हो जाती है. 

समाधि में सांस पर पूर्ण नियंत्रण रखना होता है,जब सांस पर नियंत्रण हो जाता है तब मन एक जगह संतुलित और स्थिर हो जाता है. 

समाधि को तब प्राप्त किया जाता है जब व्यक्ति सभी साधनाओं का उपभोग करने के बाद और बाहरी मोह माया या घर की मोह माया को छोड़ कर ध्यान में लीन हो जाता है तब उसे समाधि प्राप्त हो जाती है.

योगा करने के लिए कौन-कौन सी सावधानियाँ बरतें/What Precautions should be taken while doing Yoga in Hindi

  • yoga करने से पहले शरीर को active करें. 
  • yoga जब भी करें ज़मीन पर नहीं चटाई पर करें. या किसी मोटे कपड़े को बिछा कर करें 
  • खाना खाने के बाद योगा बिलकुल न करें. योगा करने से 1 घंटे बाद ही खाना खाएं. 
  • yoga करते समय पानी बिलकुल न पिये. 
  • योग करते समय आरामदायक कपड़े ही पहने. 
  • yoga करने से पहले ही फ्रेश हो जाए बीच में वॉशरूम न जाए.  
  • सही प्रकार से योग करें, यानि सही मुद्रा में योग किया जाना चाहिए. 
  • समय के साथ-साथ योग करने की क्षमता को और बढ़ाए. 
  • किसी भी प्रकार के आभूषणों(अंगूठी,माला आदि) उतारकर ही योग करें. 
  • अगर आप बीमार है तो बीमारी में योग न करें, यह सेहत के लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है.

शारीरिक बीमारी के कारण क्या आप रुके हुए (जकडे हुए) महसूस कर रहे हैं?

 क्या भावनाओं की वजह से आपको अपने व्यक्तिगत और काम के जीवन में कीमत चुकानी पड़ रही है? जीवन शैली में न्यूनतम बदलाव करके स्वाभाविक रूप से परेशानियों पर काबू पाने में कैसे योग मदद कर सकता हैं. 

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