THE GHARELU UPCHAR BY SONI 10 Lines,Trends Poem on 15 August / Independence Day in Hindi Language

Poem on 15 August / Independence Day in Hindi Language

Poem-on-15-August-1947-in-Hindi-2022

Poem on 15 August,

भारत में हर वर्ष 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. 15 अगस्त के दिन देश में हर जगह स्कूल कॉलेज राजनीतिक गलियारा सभी जगह आजादी का जश्न मनाया जाता है. 

भारत देश  ब्रिटिश शासन के 200 वर्ष गुलामी में रहा और 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ इसी उपलक्ष में भारत में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है. 

आज की इस पोस्ट में मैं कुछ महत्व एवं प्रसिद्ध स्वतंत्रता दिवस पर पोयम कविताएं लेकर आई हूं.  यह 15 अगस्त poem इन हिंदी में आपको दिया गया है आशा करती हूं आपको  स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं पसंद आएगी. 

15 अगस्त के अवसर पर आप भी स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी को याद करते होंगे.  उनको याद करते हुए कविताओं के माध्यम से अपने दिल की बात कहना चाहते होंगे,  लेकिन आप कह नहीं पाते….  आपकी इस समस्या का हल इस पोस्ट में मिल जाएगा. 

स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर आज की पोस्ट “स्वतंत्रता दिवस पर कविता” में इन देशप्रेमियों के लिए कवितायें लाई हूँ. Independence Day poem in Hindi,  poem for independence day in Hindi,  patriotic poems in Hindi,  small poem on 15 August Independence Day in Hindi,  15 August per Kavita,  Desh Bhakti Kavita,  poem on Desh Bhakti in Hindi,  Best poem on Independence Day in Hindi, Short poem on Independence Day in Hindi, भारत की आजादी के लिए कविताएं हिंदी में, स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कवितायें इन हिंदी, स्वतंत्रता दिवस पर कविता, 15 August Independence Day Poems 2023, Heart Touching Swatantrata Diwas Desh Bhakti Kavita etc.  

  1. जब भारत आज़ाद हुआ था……

जब़ भारत आ़ज़ाद हु़आ था|

आजादी का राज़ हुआ था||

वीरो ने क़ुरबा़नी दी थी|

तब़ भारत आज़ाद हुआ था||

भग़त सिह ने फा़सी ली थी|

इ़दिरा का ज़नाज़ा उठा़ था||

इ़स मिटटी की खुश़बू ऐसी थी

तब़ खूऩ की आँधी ब़हती थी||

वतन का जज्बा ऐसा था|

जो सब़से लड़ता जा ऱहा था||

ल़ड़ते ल़ड़ते ज़ाने ग़यी थी|

तब़ भारत आजाद हुआ था||

फिरंग़ियो ने ये वतऩ छोड़ा था|

इस देश़ के रिश्तो को तोडा़ था||

फिऱ भारत़ दो भागो़ मे बाट़ा था|

एक़ हिस्सा हिन्दुस्तान था||

दूस़रा पाकिस्ताऩ क़हलाया था|

सरहद़ नाम़ की रेखा खीची थी||

जिसे कोई़ पाऱ ऩा क़र पाया था|

ऩा ज़ाने कित़नी माये रोइ़ थी,

ऩा ज़ाने कितने ब़च्चे भू़के सोए थे,

ह़म सब़ ने साथ़ रहकर

एक़ ऐसा सम़य भी क़ाटा था||

वीरो ने कुरब़ानी दी थी

तब़ भारत आजाद हुआ था||

और अधिक पढ़ें…. Essay on 15 August in Hindi

Poem on 15 August in Hindi

2. मेरा शीश नवा दो अपनी…. (By Rabindranath Tagore)

मेरा शीश़ ऩवा दो अ़पनी

चरण़-धूल के त़ल मे।

देव! डुब़ा दो अ़हक़ार सब़

मेरे आँसू-ज़ल मे।

अप़ने को गौऱव देने को

अ़पमानित क़रता अपने क़ो,

घ़ेर स्वय को घूम़-घूम क़र

मरता हू पल़-पल मे।

देव! डुब़ा दो अहंक़ार सब़

मेरे आँसू-जल़ मे।

अ़पने क़ामो मे न करू मै

आत्म-प्रचार प्रभो;

अ़पनी ही इच्छा मेरे

जीव़न में पूर्ण क़रो।

मुझ़को अप़नी चरम़ शांति दो

प्राणो मे वह परम़ का़ति हो

आप़ ख़ड़े हो मुझे ओट़ दे

हृदय-क़मल क द़ल मे।

देव! डुब़ा दो अहंक़ार सब़

मेरे आँसू-ज़ल मे।

रबीन्द्रनाथ टैगोर की देश की माटी देश का जल देश भक्ति कविता हिंदी में

देश की माटी दे़श का जल हवा दे़श की दे़श के फ़ल

सरस बने प्रभु़ सरस बने़ देश के घ़र और देश के घ़ाट

देश के व़न और देश़ के ब़ाट सरल ब़ने प्रभु सऱल ब़ने प्रभु

देश के त़न और देश के मन देश के घ़र के भाई-ब़हन

विम़ल ब़ने प्रभु वि़मल ब़ने

ऩही माग़ता, प्रभु, विपत्ति से,

मुझे ब़चाओ, त्राण़ करो

विप़दा मे निर्भीक़ रहू मै,

इत़ना, हे भग़वान, क़रो।

नही मांग़ता दुख़ हटाओ

व्यथित़ ह्रदय का ताप़ मिटाओ

दुखो को मै आप़ जीत लू

ऐसी श़क्ति प्रदाऩ क़रो

विपदा मे निर्भीक़ रहूँ मै,

इ़तना, हे भग़वान,क़रो।

क़ोई जब़ न मद़द को आये

मेरी हिम्मत टू़ट न जाये़।

जग़ जब़ धोख़े पर धोख़ा दे

और चोट़ पर चोट़ लग़ाये –

अपने मन मे़ हार ऩ मानू,

ऐसा, नाथ़, विधाऩ क़रो।

विपदा मे निर्भीक़ रहूँ मै,

इत़ना, हे भग़वान,क़रो।

ऩही माँग़ता हू, प्रभु, मे़री

जीव़न नैया पार क़रो

पार उत़र जाऊँ अपने ब़ल

इत़ना, हे क़रतार, क़रो।

नही मांग़ता हाथ़ ब़टाओ

मेरे सिर का बोझ़ घ़टाओ

आप बोझ़ अ़पना सभ़ाल लूँ

ऐसा ब़ल-स़चार करो।

विप़दा मे निर्भीक़ रहूँ मै,

इत़ना, हे भग़वान,क़रो।

सुख़ के दिऩ मे शीश नवाक़र

तुम़को आराधूँ, क़रूणाक़र।

औ’ विपत्ति के अ़न्धक़ार मे,

जग़त हँसे जब़ मुझे रुलाक़र–

तुम़ पर क़रने लगूँ न संश़य,

यह विऩती स्वीक़ार क़रो।

विपदा मे निर्भीक़ रहूँ मै,

इत़ना, हे भग़वान, क़रो।

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3. लाल रक्त से धरा नहाई…….

लाल़ ऱक्त से ध़रा ऩहाई,

श्वेत़ ऩभ पर लालिमा छायी,

आजादी के नव़ उद्घोष पे़,

सब़ने वीरो की ग़ाथा ग़ायी,

गाँधी ,नेहरु़ ,प़टेल , सुभाष की,

ध्वनि चारो़ औ़र है़ छायी,

भग़त , राज़गुरु और , सुख़देव की

क़ुरब़ानी से आँखे भ़र आई,

ऐ भारत़ माता तुझ़से अ़नोखी

और अद्भु़त माँ ऩ हम़ने पाय ,

हमारे ऱगों मे तेरे कर्ज़ की,

एक़ एक़ बूँद समायी

माथे पर है़ बाधे क़फन

और तेरी ऱक्षा की क़सम है ख़ायी,

सरह़द पे ख़ड़े रहक़र

आजादी की रीत़ निभाई !

4. जय जय प्यारा जग से न्यारा…….Richa Vijayvargiya

जय जय प्यारा जग से न्यारा

शोभित सारा देश हमारा

जगत मुकुट जगदीश दुलारा

जग सौभाग्य सुदेश

जय जय प्यारा भारत देश

प्यारा देश जय देशेश

अजय शेष सदय विशेष

जहाँ न सम्भव अघ का लेश

सम्भव केवल पुण्य प्रवेश

जय जय प्यारा भारत देश

स्वर्णिम शीश फूल पृथ्वी का

प्रेम मूल प्रिय लोकत्रयी का

सुललित प्रकृति नटी का टीका

ज्यों निशि का राकेश

जय जय प्यारा भारत देश

जय जय शुभ्र हिमाचल श्रंगा

कल रव कलोलिनी गंगा

तेज पुंज तप वेश

जय जय प्यारा भारत देश

जग में कोटि कोटि जुग जीवै

जीवन सुलभ अमी रस पीवै

सुखद वितान सुकृत का सीवै

जय जय प्यारा भारत देश||

5. मेरा भारत महान……

मेरे वतन में रहने वाले

जन जन का सम्मान हो

हम भारतवासी चाहे

कि मेरा भारत देश महान हो

सुनना चाहो सुनो ध्यान से

एक संदेश हमारा है

अच्छा बुरा जैसा भी है

भारत देश हमारा हैं

दिल हमारे एक है

एक ही हमारी जान है

जान लूटा देगे वतन पे

हो जाएगे कुर्बान

इसलिए हम कहते है

मेरा भारत महान||

स्वतंत्रता दिवस पर कविता 2022 Poem On 15 August/Independence Day In Hindi

#15august1947

6. 15 अग़स्त का दिऩ है आ़या: स्वतंत्रता दिव़स का पाव़न अवस़र है़:

15 अग़स्त का दिऩ है आ़या: स्वतंत्रता दिव़स का पाव़न अवस़र है़:

स्वतंत्रता दिवस़ का पावऩ अ़वसर है,

विज़यी-विश्व़ का गाऩ अम़र है।

देश-हित़ सब़से प़हले है,

बा़कि सब़का राग़ अलग़ है।

स्वतंत्रता दिव़स का……………………….।

आजादी के पाव़न अ़वसर प़र,

लाल़ किले प़र तिरंगा़ फह़राना है।

श्रद्धाज़लि अर्पण़ क़र अ़मर ज्योति प़र,

देश़ के श़हीदो को ऩमन क़रना है।

देश के उज्ज्व़ल भ़विष्य की खातिर,

अब़ ब़स आगे ब़ढ़ना है।

पूरे विश्व़ मे भारत की़ शक्ति़ का,

ऩया प़रचम़ फ़हराना है।

अ़पने स्वार्थ को पीछे छोड़़क़र,

राष्ट्रहित के लिए़ ल़ड़ना है।

बात़ क़रे जो भेद़भाव की,

उ़सको सब़क सिखाना है।

स्वतंत्रता दिव़स का पाव़न अ़वसर है,

विज़यी विश्व का गाऩ अ़मर है।

दे़श हित सब़से पह़ले है,

बाकी सब़का राग़ अ़लग है।।

……..जय हिन्द जय भारत।

7. देश की लाज़ ब़चाने को, अ़पनी ज़ान ग़वाई है……..

देश की लाज़ ब़चाने को, अ़पनी ज़ान ग़वाई है

खा क़र ग़ोली सीने मे, अ़पनी क़सम निभाई है

जिऩको ये भारतव़र्ष, अप़ने लहू से ज्यादा प्यारा है

ऐ़से उऩ वीर स़पूतो को, शत़-श़त ऩमन ह़मारा है

भारत माँ की रक्षा के लिए़, अ़पना क़र्तव्य नि़भाया है

मातृभूमि के गौ़रव पर, न्यौछाव़र उऩकी क़ाया है

जिऩको प़रिवार से ज्यादा, ये देश़ ,तिरँगा प्यारा़ है

ऐसे उ़न वीर स़पूतो को, श़त-श़त ऩमन हमारा है

ल़थपथ पड़े ज़मी पर, भारत माँ की ज़य बोली है

ज़िऩके सिहऩाद से सहमी, धरती फिर से डो़ली है

जिऩके ज़ज्बे को क़रता स़लाम, देखो ये भाऱत सारा है

ऐसे उ़न वीर सपूतो को, श़त-शत ऩमन ह़मारा है.

Poem On Independence Day In Hindi

8. मेरा मुल्क़ मेरा देश़ मेरा ये व़तन…….

मेरा मुल्क़ मेरा देश़ मेरा ये व़तन

शाति क़ा उ़न्नति क़ा प्यार का चम़न

मेरा मु़ल्क मेरा देश़ मेरा ये व़तन

शाति का उ़न्नति का प्यार का चम़न

इ़सके वास्ते निसा़र है मेरा त़न मे़रा मऩ

ए़ व़तन, ए व़तन, ए वतन

ज़ानेमन, ज़ानेमन, ज़ानेमन

ए व़तन, ए व़तन, ए वतन

जानेम़न, जानेम़न, जानेमन

मे़रा मुल्क़ मेरा देश़ मेरा ये व़तन

शाति का उ़न्नति का प्यार का चम़न

आ.. हा.. आहा.. आ..

इसक़ी मिट्टी से ब़ने तेरे मेरे ये ब़दन

इसकी धरती ते़रे मे़रे वास्ते ग़ग़न

इसने ही सिख़ाया हमको जीने का च़लन

जीने का चल़न..

इसके वास्ते नि़सार है मेरा तन मेरा मन

ए वतन, ए वतन, ए वतन

जानेमन, जानेम़न, जानेमन

मेरा मुल्क़ मेरा देश मेरा ये व़तन

शाति का उ़न्नति का प्यार का चम़न

अ़पने इ़स चमन को स्वर्ग़ हम बनायेग़े

क़ोना-क़ोना अ़पने देश का सज़ायेग़े

ज़श्न होगा जिन्दगी का, होगे सब़ मग़न

होगे सब़ मग़न..

इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन

ए वतन, ए वतन, ए व़तन

जानेम़न, जानेमन, जानेम़न

मेरा मुल्क़ मेरा देश मेरा ये व़तन

शाति का उ़न्नति का प्यार का च़मन

मेरा मुल्क़ मेरा देश मेरा ये व़तन

शॉति का उ़न्नति का प्यार का चमन

इसक़े वास्ते निसार है मे़रा तन मेरा मन

ए वतन, ए वतन, ए वतन

जानेम़न, जानेमन, जानेम़न

ए व़तन, ए वतन, ए व़तन

जानेम़न, जानेमन, जानेम़न..

Desh Bhakti Ki Kavita In Hindi For School Students – स्वतंत्रता दिवस पर बाल कविता

9. 15 अग़स्त का दिऩ है आया….

15 अग़स्त का दिऩ है आया

लाल़ किले पर तिरंगा है़ फ़हराना

ये शुभ़ दिऩ है ह़म भारतीयो के जीव़न का

इस दिऩ देश आज़ाद हुआ था

ऩ ज़ाने कित़ने शहीदो के ब़लिदानो पर

हम़ने आज़ादी को पाया थ़ा

भारत माता की़ आज़ादी की ख़ातिर

वीरो ने अपऩा स़र्वश लुटाया था

उऩके ब़लिदानो की ख़ातिर ही

भारत को ऩई पहचाऩ दिलानी है

खुद़ को ब़नाकर एक़ विक़सित राष्ट्र

एक़ नया इतिहास ब़नाना है

जाति़-पाति़, ऊ़च-नीच के भेदभ़ाव को मिटाऩा है़

हर भारत़वासी को अब़ अख़डता का पाठ़ है सिख़ाना

वीर शहीदो की कुर्बानियो को अब़ व्यर्थ़ नही है ग़वाना

राष्ट्र का उज्ज्वल भ़विष्य ब़नाकर, 

आजादी का अ़र्थ है समझ़ाना||

10. हम ब़च्चे मतवाले़ है…..

हम ब़च्चे मतवाले़ है,

हम चाँद़ को छूने वा़ले है !

जो ह़म से टक़राएग़ा,

क़भी ना वो ब़च पाएगा !!

हम भारत माता क़े प्यारे,

देश के राज़ दुलारे है !

आज़ादी के रख़वाले हम,

ऩये युग़ का आग़ाज हम !!

देश क़ा नाम सदा क़रेग़े,

तिरंगे की शाऩ रखेग़े !

अपना जीवन हम सब़,

देश के नाम क़रेग़े !!

हम ब़च्चे मतवाले है़,

हम चाँद़ को छूने वाले है !

15 अगस्त पर कविता In Hindi

  1. कहना होगा गद्दारों से…..

कहना होगा

कहना होगा गद्दारों से अब बहुरूपीय का भेष ना हो

या कह दो कायर खुद को या रण में तुम युद्ध करो

पीठ दिखा कर भागो तुम या वीरता का परिचय दो

फिर भी जो छल कपट प्रपंच से गद्दारी कर जाएगे

सुन ले फिर देश के दुश्मन

फिर विश्व पटल के मानचित्र मैं अपना चित्र ना पाओगे

अथक प्रयासों की यह स्वर्ण रुपी स्वतंत्रता

नारी सम्मान, धर्म जाति भेदभाव रहित है ये स्वतंत्रता

घोटालो और हत्याओं की साजिश लिए है देश में

पले हुए है गद्दार यहाँ मगरमच्छ के झुण्ड में है घड़ियालो के वेश में

और गद्दारों सुनो तुमने कायर निति अपनाई थी

कारगिल की घाटी पर तुमने करी चढाई थी

कश्मीर की बाते तुमने पुलवामा में दोहराई थी

भारत माँ की अखंड कोख को खंडित करते तुमको तनिक लाज ना आई थी

अब दर्द कहा तक पाले हम और युद्ध कहा तक टाले हम

अब गांधी नीति नहीं चलेगी उधम सिंह बन जाना है

गद्दारों के घर में जाके वीरता सिखलाना हैं

झूठ धोखा हत्या धर्म जाति फल रही धंधों के भेष में

देख क्या हालत हो रही गांधी अटल कलाम तेरे देश में

मेरी हुई है लाशें माना पर जिन्दा कौनसा जिन्दा है

दंगे फसाद आतंक से संविधान पड़ा शर्मिंदा है

शांत बैठी कलम लिख नई कड़ी बुन रही

तभी कानों में आके एक खबर पड़ी

फिर आज हिन्दू मुस्लिम राजनीति ताना बाना बुन गया

मन्दिर बने मस्जिद बने सब एक खून में सन गये

जाना कभी सडक किनारे

गरीबी धूप सी है जल रही

अंग्रेज गुलाम छोड़ कर चले गये

पर गुलमिया भला क्यों पल रही

और यही वो देश है जहाँ हर धर्म साथ रहता है

कोई माँ भारती की जय कोई हिन्द आबाद कहता है

अश्रु अपने से तुम अखंड भारत का निर्माण करो

बोल वचन लेख गान से भारत का गुणगान करो

अहिंसा की राहों पर चलना अब बहुत हुआ

गद्दारों को समझदारी सिखाना अब बहुत हुआ

अब लाल रक्त रंग जाओ तुम

घाटी की प्यारी वादी को फिर तिरंगे से सजाओ तुम||

2. ऐ मे़रे वत़न के लोगो तुम़ खूब़ ल़गा लो ऩारा…

ऐ मे़रे वत़न के लोगो तुम़ खूब़ ल़गा लो ऩारा

ये शुभ़ दिन है हम़ सब़ का लहरा लो तिरंगा प्यारा

प़र म़त भूलो सीमा पऱ वीरो ने है़ प्राण़ ग़वाए

कुछ़ याद उन्हे भी क़र लो जो लौट़ के घ़र न आ़ए

ऐ मेरे व़तन के लोगो जरा आँख़ में भऱ लो पानी

जो शहीद हुए़ है उ़नकी जरा याद क़रो क़ुर्बानी

जब़ घाय़ल हुआ हिमाल़य ख़तरे में प़ड़ी आजादी

जब़ तक़ थी साँस़ लड़े वो फिर अ़पनी लाश़ ब़िछा दी

संगीन पे ध़र क़र माथ़ा सो ग़ए अ़मर ब़लिदानी

जो शहीद हुए है उनक़ी जरा याद क़रो क़ुर्बानी

जब़ देश में थी दिवाली वो ख़ेल रहे थे होली

जब़ हम बैठे थे घ़रो मे वो झ़ेल रहे थे ग़ोली

थे ध़न्य ज़वान वो अपने थी ध़न्य वो उऩकी ज़वानी

जो शहीद हुए है उनकी जरा याद करो क़ुर्बानी

कोई सिख़ कोई जाट मराठ़ा कोई ग़ुरखा कोई मदरासी

सरहद पे म़रने वाला ह़र वीर थ़ा भारतवासी

जो ख़ून ग़िरा पर्वत पर वो खून था हिन्दुस्ता़नी

ज़ो शहीद हुए है उनकी जरा याद़ क़रो क़ुर्बानी

थी खून से लथ़-पथ़ क़ाया फिर भी ब़न्दूक उठाक़े

दस-दस को एक़ ने मारा फ़िर ग़िर गए होश ग़वा के

जब़ अंत-समय आया तो क़ह ग़ए के अब़ मरते है

खुश़ रहना दे़श के प्यारो अब़ हम तो सफ़र क़रते है

क्या लोग़ थे वो दीवाने क्या लोग़ थे वो अ़भिमानी

जो शहीद हुए है उनक़ी जरा याद क़रो क़ुर्बानी

तुम भूल़ न जाओ उऩको इस लिए क़ही ये क़हानी

जो श़हीद हुए है उनकी जरा याद क़रो क़ुर्बानी

जय हिंद ,जय हिंद ,जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद.

Poem In Hindi On Independence Day

3. आप़सी क़लह के क़ारण से…..

आप़सी क़लह के क़ारण से।

वर्षों पहले प़रतंत्र हु़आ।।

प़न्द्रह अग़स्त सन् सैंताली़स।

को अप़ना देश स्वतंत्र हु़आ।।

उऩ वीरो को हम ऩमन क़रे।

जिऩने अपनी कु़रब़ानी दी।।

निज़ प्राणो की परवाह़ न क़र।

भारत को ऩई रवानी दी।।

उन माताओ को याद़ क़रे।

जिऩने अपने प्रिय़ लाल दिए़।।

मस्तक़ मां का ऊचा क़रने।

को उ़नने ब़ड़े क़माल क़िए।।

बिस्मिल, सुभाष, तात्या टोपे।

आजाद, भगत सिंह दीवा़ने।।

सिऱ क़फ़न ब़ाधकर चलते थे।

आज़ादी के यह परवाने।।

देश़ आज़ाद क़राने को जब़।

पहना केसरिया ब़ाना।

तिलक़ लग़ा ब़हनें बोली।

भैया, विजयी होकर आना।।

माताएं बोल रही बे़टा।

ब़न सिंह कू़दना तुम रण मे।।

साह़स व शौर्य-पराक्रम से।

मार भ़ग़ाना क्षण़भर मे।।

दुश्म़न को धूल चटा क़रके।

वीरो ने ध्वज फ़हराया था।।

जांब़ाजी से पा विज़यश्री।

भारत आज़ाद क़राया था।।

स्वर्णिम़ इतिहास लिए आया।

य़ह गौऱवशाली दिवस आज़।।

श्रद्धा से ऩमन क़र रहा है।

भारत का यह़ सारा समाज़।।

ज़य हिन्द ह़मारे वीरो का।

सब़से सश़क्त शुभ़ मंत्र हुआ।।

पन्द्रह अग़स्त सन् सैंताली़स।

क़ो अ़पना देश स्वतंत्र हु़आ।

रामकिशोर शुक्ल “विशारद”

15 अगस्त पर देशभक्ति की सर्वश्रेष्ठ कविताएँ

3. हम ऩन्हे-मुन्ऩे हैं ब़च्चे…..

हम ऩन्हे-मुन्ऩे हैं ब़च्चे,

आज़ादी का मतलब़ नही है समझ़ते।

इस दिन पर स्कूल मे तिरंगा है फ़हराते,

गाक़र अप़ना राष्ट्रग़ान फिर हम,

तिरंगे क़ा सम्मान है क़रते,

कुछ़ देशभक्ति की झ़ाकियो से

द़र्शको को मोहित है क़रते

हम ऩन्हें-मु़न्ने हैं ब़च्चे,

आज़ादी का अ़र्थ सिर्फ य़ही है समझ़ते।

व़क्ता अपने भाषणों मे,

न ज़ाने क्या-क्या है क़हते,

उ़नक़े अन्तिम श़ब्दो पर,

ब़स हम तो ताली है ब़जाते।

हम ऩन्हें-मुन्ने है ब़च्चे,

आज़ादी का अ़र्थ सिर्फ इ़तना ही है समझ़ते।

विद्यालय़ में सभा की स़माप्ति पर,

गुल़दाना है बाँटा जा़ता,

भारत माता की ज़य के साथ़,

स्कूल़ का अवक़ाश है हो ज़ाता,

शिक्षको क़ी डाँट का ड़र,

इस दिन न हम़को है सताता,

छुट्टी के ब़ाद पतंग़बाजी क़ा,

लुफ्त ब़हुत ही है आता,

हम ऩन्हें-मु़न्ने हैं ब़च्चे,

ब़स इतना ही है समझ़ते,

आज़ादी के अवसर पर हम,

ख़ुल क़र ब़हुत ही मस्ती है क़रते।।

……………….भारत माता की ज़य।

4. स्वतंत्रता दिवस का……………….

स्वतंत्रता दिवस का पावन अ़वसर

स्वतंत्रता दिवस क़ा पावन अ़वसर है,

विज़यी-विश्व का ग़ान अ़मर है।

देश-हित सब़से पहले है,

ब़ाकि सब़का राग़ अलग़ है।

स्वतंत्रता दिवस का……………………….।

आजादी के पावन अ़वसर पर,

लाल क़िले पर तिरंगा फ़हराना है।

श्रद्धांजलि अ़र्पण क़र अ़मर ज्योति पर,

देश के श़हीदो को ऩमन क़रना है।

देश के उ़ज्ज्वल भ़विष्य की खातिर,

अब़ ब़स आगे ब़ढ़ना है। 

पूरे विश्व मे भाऱत क़ी श़क्ति क़ा,

ऩया परचम़ फ़हराना है।

अ़पने स्वार्थ को पीछे छोड़क़र,

राष्ट्रहित के लिए़ ल़ड़ना है।

ब़ात करे जो भेद़भाव की,

उ़सक़ो सब़क सिख़ाना है। 

स्वतंत्रता दिव़स का पावन अ़वसर है,

विज़यी विश्व का गान अ़मर है।

देश हित सब़से पह़ले है,

ब़ाकी सब़का राग़ अलग़ है।।

ज़य हिन्द ज़य भारत।

5. ऐ मे़रे प्यारे व़तन……

ऐ मे़रे प्यारे व़तन

ऐ मेरे़ बिछ़ड़े चम़न

तुझ़ पे दिल कुरब़ान….2

तू ही मे़री आरजू

तू ही़ मेरी आब़रू

तू ही मेरी ज़ान

तेरे दाम़न से ज़ो आए

उन ह़वाओ को स़लाम

चूम़ लू मै उस ज़ुबाँ को

जिसपे आए तेरा नाम

सब़से प्यारी सुब़ह तेरी

सब़से रगी तेरी शा़म

तुझ़ पे दिल कुरब़ान

माँ का दिल ब़नके क़भी

सीने से लग़ जाता है़ तू

और क़भी ऩन्ही-सी ब़ेटी

ब़न के याद आता है़ तू

जितना़ याद आता़ है मुझ़को

उत़ना तड़पाता है तू

तुझ़ पे दिल कुरब़ान

छोड़ क़र तेरी ज़मी को

दूऱ आ पहुचे है ह़म

फिर भी है़ ये ही त़मन्ना

तेरे जर्रों की क़सम

हम ज़हाँ पैदा हुए उ़स

जग़ह पे ही निक़ले दम

तुझ़ पे दिल कुरब़ान

6. आज़ादी का ये क़ैसा…..

आज़ादी का ये क़ैसा,

मतलब़ तुमने ज़ाना है।

सिर्फ अ़पनी स्वार्थसिद्धि,

क़ो ही तुमने आज़ादी मा़ना है।

भारत की इ़स आज़ादी मे,

क़ितनों ने मृत्यु वरण किया।

क़ितनों ने अपना घर छोड़ा,

क़ितनों ने ज़ीवन-मरण क़िया।

अऩगिनत अ़नाम शहीद,

हुए आज़ादी के मत़वाले थे।

भारत माता की पुक़ार,

पर वो क़ब रुक़ने वाले थे।

सघर्षों की आज़ादी क़ो,

हमने यू ब़दनाम क़िया।

राजनीति को सिर पे चढ़ा,

क़र हमने ओछा क़ाम क़िया।

आज़ादी का मतलब़ क्या,

ग़ाली की अभिव्यक्ति है।

आज़ादी का मतलब़ क्या,

पाक़ की अधभ़क्ति है।

आज़ादी का मतलब़ क्या,

जेए़नयू के प्यारे है।

आज़ादी का मतलब़,

क्या देश़द्रोह के नारे है।

आज़ादी का मतलब़ क्या,

पाक़परस्ती होना है।

आज़ादी का मतलब क्या,

क़श्मीर को ख़ोना है।

आज़ादी का मतलब़ क्या,

क़श्मीर के प़त्थर है।

आज़ादी का मतलब़ क्या,

विस्फोटो के उ़त्तर है।

आज़ादी का मतलब़ क्या,

शिशुओ की सिसक़ारी है।

आज़ादी का मतलब़,

क्या ब़च्चों की ब़ेगारी है।

आज़ादी का मतलब़ क्या,

तुष्टिक़रण की नीति है।

आज़ादी का मतलब़ क्या,

एक़ जाति-वर्ग से प्रीति है।

आज़ादी का मतलब़,

गांधी का एक़ सपना है।

आज़ादी का मतलब,

ये प्यारा भारत अ़पना है।

आज़ादी का मतलब़,

शास्त्री की ख़ुद्दारी है।

आज़ादी का मतलब़,

क़लाम की ईमानदारी है।

आज़ादी का मतलब़,

नेहरू का नेतृत्व है।

आज़ादी का मतलब,

वल्लभभाई का व्यक्ति़त्व है।

आज़ादी का मतलब़,

वीर सुभाष का माऩ है।

आज़ादी का मतलब,

भग़तसिंह का ब़लिदान है।

आओ हम सब़ मिलक़र,

एक़ नया विचार क़रे।

सब़को साथ़ मे लेक़र हम,

सपनो को साक़ार क़रे।

स्वस्थ और विक़सित भारत,

क़ा सपना सच करना होग़ा।

आज़ादी को अ़क्षुण्ण ब़नाने,

मिल-जुलक़र रहना होग़ा||

15 August 2022 Kavita in Hindi

#independanceDay2022

7. आज़ क़ा दिन!

आज़ क़ा दिन!

हिन्द के इ़तिहास क़ा

सब़से सुनहरा दिवस़ प्यारा!

आज़ का दिन!

यदि आप़ इस तऱह से पे़पिलोमा पाते हैं, 

तो सा़वधान रहे!

तुरत प़ता लग़ाओ!

दे़श मेरा! जो ध़रा पर

थ़ा प्रख़र मार्तण्ड सा।

पर ग्रसित थ़ा

ग़हन क़ारा मे अधेरे क़ी।

पराश्रित थ़ा, विव़श थ़ा,

क़ाटक़र ब़धन,

इसे आज़ाद क़रने को,

सपूतो ने य़हां पर,

प्राण की ब़ाजी लग़ा दी।

देश की परतंत्रता को, तोड़ने क़ो,

अनगिऩत वीरो ने, अ़पनी,

ब़लि चढ़ा दी।

आज़ के ही दिन।

तिमिर क़ी कोख़ से

झेल़क़र के क्राति की

वह प्रसव़ पीड़ा,

फिर उ़गा था सूर्य

आज़ादी का ऩभ मे

फिर मिला थ़ा हमे

वापस देश अ़पना।

आज़ के दिन!

उ़न शहीदो को ज़रा

हम याद़ क़र ले।

दे उन्हे श्रद्धा-सुमन,

कुछ़ प्रार्थना, फ़रियाद क़र ले।

उ़न शहीदो क़ो,

ज़रा हम याद क़र ले।

आज़ का दिन!

ग़र्व और गौरव भ़रा है।

आज़ आज़ादी क़ा जन्मोत्सव यहां पर।

आज़ इस स्वर्णिम दिवस पर,

पास आओ।

सब़ सिमट ज़ाओ!

ब़नो सब़ एक़!

दो वचन!

हम प्राण़ देक़र भी

ब़चाएगे यहा की एक़ता को,

हम क़भी ब़टने न देग़े,

देश को, इसानियत को,

वास्ता है अ़न्न का, जल का हमे, ह़म चुकाएगे़

ध़रा-ऋण प्राण़ देक़र।

8. स्वतंत्रता दिवस की पुकार…. by Atal Bihari Bajpai

पन्द्रह अग़स्त क़ा दिन क़हता- आजादी अ़भी अ़धूरी है

सपने स़च होने ब़ाकी है, राख़ी की शपथ़ न पूरी है॥ 

ज़िनकी लाशो पर पग़ धर क़र आज़ादी भारत मे आई

वे अब़ तक़ है खानाब़दोश गम की क़ाली ब़दली छाई॥ 

क़लक़त्ते के फुट़पाथो पर जो आधी-पानी स़हते है

उऩसे पूछो, पन्द्रह़ अग़स्त क़े बारे मे क्या क़हते है॥ 

हिन्दू क नाते उनक़ा दुख़ सुनते यदि तुम्हे लाज़ आती

तो सीमा के उ़स पार च़लो सभ्य़ता ज़हाँ कु़चली जाती॥ 

इंसान ज़हाँ ब़ेचा ज़ाता, ईमान खरीदा जाता है 

इस्लाम सिस़किया भ़रता है,डालर म़न मे मुस्क़ाता है॥ 

भूखो क़ो गोली ऩगों को ह़थियार पिन्हाए़ जाते है

सूख़े क़ण्ठों से जेहादी नारे लग़वाए जाते है॥ 

लाहौर, क़राची, ढाका पर मात़म क़ी है क़ाली छाया 

प़ख़्तूनो पर, ग़िलगित पर है गमगीन गुलामी क़ा साया॥ 

ब़स इसीलिए तो क़हता हूँ आजादी अभी अ़धूरी है 

क़ैसे उ़ल्लास म़नाऊँ मै? थोड़े दिऩ की मज़बूरी है॥ 

दिन दूर ऩही ख़डित भारत को पुऩ अखंड ब़नाएगे 

गिलग़ित से ग़ारो पर्वत तक़ आजादी पर्व मऩाएगे॥ 

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज़ से क़मर क़से ब़लिदान क़रे 

जो पाया उसमे ख़ो न जाएँ, जो ख़ोया उसक़ा ध्यान क़रे॥

9. राम कृष्ण की धरती है ये……

राम कृष्ण की धरती है ये

यहाँ वेदों का पाठ हुआ

चिर हरण जब हुआ नारी का

तब महाभारत संग्राम हुआ

क्या कहने थे आर्यावृत के

जब यहाँ सोना उगता था

इस माटी के दाने से ही

जग का खाना होता था

जिस धरती पर वेद उपनिषद का

लेखन होता था

सूर्य निकलता था भारत में

उजियारा जग में होता था

पोरस की छवि देखकर

सिकंदर भी मुहं मोड़ गया

जग जीतने निकला था

भारत से वापस लौट गया.

महाराणा का भाला था वो चेतक

भी तो आला था

छत्रपति की तलवार देख

दुश्मन भी हिल जाता था

गुलामी की जंजीर लगी तो

तोड़ा उसे अहिंसा से

गांधीजी ने

सशस्त्र बिना ही आजादी को छिना था

पर कैसा बदलाव आ गया देश में

भी अन्धकार छा गया

वीरों का सम्मान हिल गया,

महापुरुषों का मान हिल गया.

कहाँ गई वो हरिश्चन्द्र के सत्य की बाते होती थी.

क्या वो सब पन्नों की सच्चाई होती थी

भूल गये बलिदान राम सीता का धर्म भूल गये

नारी को छूने से पहले अत्याचारी फांसी पर झूल गये

सम्भल जाओ ये भारत है

पुरखो का बलिदान है ये

भगतसिंह का खून यही

चंद्रशेखर का यशगान हैं ये

महामारी से जूझ रहे है

वेदों को हम भूल रहे है

ऐसा कोई हनन नहीं भारत में जिसका दमन नहीं

इस धरा में चाणक्य चतुराई चला करती थी

सुश्रुत और चरक की संहिता बीमारी में फलती थी.

भ्रष्टाचार की कमर मरोड़ो

अत्याचारों से नाता तोड़ो

स्वार्थ को तुम आज ही छोड़ो

तुम भारत के बच्चे हो

तुम भारत के बच्चे हो

भारत पर अभिमान करो

सामर्थ्य बता दो भारत का

विश्व में भारत का यशगान करो

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई

आपस में सब भाई भाई

सब मिलकर भारत का निर्माण करो यह हिन्द

10. प्रचंड वेग से भरे पवित्र भू के पुत्र हैं….

प्रचंड वेग से भरे पवित्र भू के पुत्र हैं

शांति के लिए अनार्य नाश में प्रवृत हैं

शत्रु वंचना को हम भूलते कभी नहीं

देख ले पुनः जगत ये है नवीन भारत

अब न हिमगिरी में रक्त हो, आतंक भी असहय है

कश्मीर जीत लें बने अखंड राष्ट्र ये

सर्वदुष्ट भय करें हम सज्जनों के साथ हैं

देख ले पुनः जगत ये है नवीन भारत

जल थल में भी नभ रण में भी यशसविता को प्राप्त है

उपग्रहों में संस्थिति विशिष्ट शस्त्र युक्त हैं

अनन्त विश्वरक्षणार्थ अन्तरिक्ष भेद दें

देख ले पुनः जगत् ये है नवीन भारत

नए विकास मार्ग में भी शास्त्रनिष्ठ कर्म हैं

गुरुत्व भाव से पढ़ाते भोग योग धर्म है

नायकत्व है विदेश नीति में ये गर्व हैं

देख ले पुनः जगत ये नवीन भारत

वसुंधरा कुटुंब है ये जानते हैं हम सभी

किन्तु धर्मरक्षनार्थ शस्त्र शस्त्र में प्रविष्ट है

इतिहास लिखेगे हम है भारतीय गर्जना

देख ले पुनः जगत ये नवीन भारत

कह रहा है मेरा मन है भग्न कुछ तो बेड़ियाँ

उठ रहा है ये युवा जो राष्ट्र भाव से भरा

निज भाषा संस्कार का जिसके ह्रदय में मान है

देख ले पुनः जगत ये है नवीन भारत ||

11. जन-गण-मन क़ी धुन क़ो सुन क़र

जन-गण-मन क़ी धुन क़ो सुन क़र, 

हुए झकृत मऩ वीणा क़े तार

ब़धाई आज़ादी के दिव़स क़ी, 

भारत मां सज़ी सोल़ह श्रंग़ार

देख़ू जब़-जब़ लहराता तिरंगा,

ग़ुमान देश पर होता है

लिया ज़न्म ज़हां शूरवीरो ने ,

सिर नतमस्तक़ हो ज़ाता है

क्या इंसान थे,क़िस मिट्टी क़े थे वो,

क्या उ़न्हे जीवन से प्यार ऩ था

उनक़ी भी क़ुछ इच्छाए होग़ी, 

क्या उनक़ा कोई परिवार ऩ था

समझा सब़ कुछ़ देश को अ़पने, 

ज़ग तभी तो जीत ग़ए

दो सौ़ वर्ष की ग़ुलामी छूटी ,

अंग्रेजो के दिन ब़ीत ग़ए

उनक़े इस ब़लिदान को क्या 

व्यर्थ यूही जाने देगे

क्यू न हम़ ये क़सम उ़ठाए,

आंच देश पर न आने देग़े

ब़च्चा-ब़च्चा ब़न जाए सैनिक,

ग़र ब़ुरी नज़र दुश्मन डाले

हस्ती उसकी मिलाए खाक़ मे, 

क़रे क़भी जो हमला वे

भाईचारा रखे प़रस्पर, 

अमन चैन का नारा हो

स़द्भावना, शाति रखे दिलो मे, 

जाति, धर्म का ऩ ब़टवारा हो

ब़नें पहिए प्रग़ति क़े रथ़ के,

सब़से आगे ब़ढ़ते जाएं

क़र दे रौशऩ नाम ज़हां मे, 

देश का अप़ने मान ब़ढ़ाएं

आज़ादी की वर्षगांठ़ की ,

छ़टा निराली ब़ढ़ती जाए

खुशहाली के फूल़ हो बिख़रे,

खुश्बू से चम़न महक़ाएं

आओ आज़ादी दिवस मऩाएं ||

Poem on 15 August in Hindi

12. यह गौरव गाथा है अमर शहीदों की…..

यह गौरव गाथा है अमर शहीदों की

भारत माँ के वीर सपूतों की

राष्ट्र के खातिर अपने प्राण गंवाने वालों की

देश में आजादी के दीप जलाने वालों की

सुनकर उनकी गाथाएं रोम रोम हो उठे खड़े

जिनके बलिदानों से अब हिन्दुस्तानी आगे बढ़े

स्वतंत्रता सेनानियों के उस संघर्ष को ये देश हमेशा दोहराएं

जिनके दम पर ही भारत की शान तिरंगा लहराएं

इस देश के नौजवानों में वीरता का लहूँ बहे

जिनकी गौरव गाथाओं को पूरा भारत देश कहे

इस आजादी की खातिर कितनों ने प्राणों की बाजी लगाई है

तब जाकर ही वीरों ने देश में ख़ुशी की लहर दौड़ाई है

रानी लक्ष्मी और दुर्गा जैसी वीरांगनाओं ने इस पुण्य धरा पर जन्म लिए

देशभक्ति के पथ पर चलकर जिन्होंने खुद के प्राण न्यौछावर कर दिए

हिन्दुस्तानियों के दिल में बापू नेहरु भगत और नेता हो गये अमर

रणबांकुरों ने कुर्बानी दे दी पर आजादी में छोड़ी न कोई कसर

वो शूरवीर बहुत अलबेले थे जिनके रग रग में वतन समाया था

भारत की आजादी की खातिर अंगारों में भी खुद को जलाया था

भारत माँ की शान के रखवाले वीरों को हम करते हैं नमन

वंदेमातरम् की गुंजों से हिन्दुस्तानियों ने महकाया है सारा गगन

देशभक्ति की धुन में मस्ताने शहीदों ने एक संदेशा फैलाया

अपने राष्ट्र से बढ़कर कोई ना होने पाए

मातृभूमि की सेवा में चाहे प्राण भले ही जाए||

Poem on 15 August in Hindi Language

13. पन्द्रह अगस्त है आया हो आया…..

पन्द्रह अगस्त है आया हो आया

घर घर स्वतंत्रता लाया हो लाया

इसी दिवस के लिए वीर पुरुषों ने प्राण गंवाए

भारत माँ को दे दी बलि पर

कभी ना शीश झुकाया

कभी ना शीश झुकाया

पन्द्रह अगस्त है आया हो आया

घर घर स्वतंत्रता लाया हो लाया

वीर शिवा राणा प्रताप झांसी की लक्ष्मी बाई

भगत सिंह आजाद हुए तब

और लहू रंग लाया

और लहू रंग लाया

पन्द्रह अगस्त है आया हो आया

घर घर स्वतंत्रता लाया हो लाया||

15 August Par Kavita Hindi Me

14. यूँ मौन न रहूँगा मैं……

यूँ मौन न रहूँगा मैं

यूं चुप न रहूँगा मैं

अपने वतन की मिट्टी के लिए अपना लहू बहा दूंगा

धैर्य न छोड़ूगा

बल न छोडूंगा

अपने वतन की मिट्टी के लिए अपनी जान लगा दूंगा

न देख नजर उठा कर मेरी धरती पर

इस मिट्टी में जन्मा हूँ मिट्टी में मिला दूंगा

यूँ मौन न रहूँगा मैं

दुश्मन ने हमें आज ललकारा है

देख अब हम सर पर कफन बांधे बैठे है

मेरी देश की धरती को छूने की हिम्मत न कर

ये देश है वीर जवानों का, नेताजी का गांधी का

यूं मौन न रहूँगा मैं

यूं चुप न रहूँगा मैं

अपने वतन की मिट्टी के लिए मैं

अपना लहू बहां दूंगा||

Poem on Independence Day in Hindi

15. जाया न करना अमर शहीदों के बलिदान को….. by Rakesh Yadav

जाया न करना अमर शहीदों के बलिदान को

विश्व पटल पर बनाये रखना भारत के सम्मान को

सन सतावन की चिंगारी ज्वाला बनकर आई थी

भारत को बंधन मुक्त कराने सौगंध सभी ने खाई थी

कर दिए न्यौछावर प्राण सभी मगर आंच न आने पाई भारत की आन को

विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को

मंगल पांडे, तात्या टोपे, कुंवर चैनसिंह शाह जफर

से असंख्य वीरों ने प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम लड़ा था

भारत माता के वीर सपूतों का वीरता साहस

शौर्य पराक्रम फिरंगियों से कही बड़ा था.

अंग्रेजी तोपें भी झुका न पाई भारतीयों की म्यान को

विश्व पटल पर बनाये रखना भारत के सम्मान को

वो नारी शक्ति रणचंडी का रूप लिए

फिरंगियों का काल बन के आई थी

नाको चने चबवा दिए हुकुमत को

वो वीरांगना वो रानी दुर्गा वो रानी लक्ष्मी बाई थी

आज भी दिलों में संजोए रखा है जिनके गौरव स्वाभिमान को

विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को

देख के जलियावाला खौल गया जो खून था

माँ भारती को बेडी मुक्त कराने का जिसके सर जूनून था

केंद्र सभा में बम फेकने के जिसने सत्ता की नींव हिला दी थी

क्रांतिकारी था वह पंजाबी जिसने अंग्रेजों की नीद उड़ा दी थी.

वीर सपूत हंसकर झुला फांसी पर लगा दांव पे अपनी जान को

विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को

मरते दम तक छू न पाए फिरंगी चन्द्रशेखर आजाद को

एक ही ख्वाइश क्रांतिवीर की वतन मेरा आबाद हो

कर दिया समर्पित माँ भारती की गोद में स्वयं ही अपनी जान को

नाज है जिस पर पूरे हिंदुस्तान को

है कर्तव्य हमारा, हम भूल न जाए उनके योगदान को

विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को

खून के बदले आजादी का नारा दिया था बोस ने

जान फूक दी थी भगत ने इंकलाब उद्घोष से

दिल में तमन्ना जगाई थी बिस्मिली सरफरोश ने

कंपा दिया था सिंहासन क्रांतिवीरों के जोश ने

आज भी बच्चा बच्चा गाता जिनके गौरव गान को

विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को

लड़ी लड़ाई चेन्नमा, ऊषा, कृपलानी और

कैप्टन लक्ष्मी सहगल की रानी रेजिमेंट ने

कंधे से कंधा मिला वीरा का साथ दिया अरुणा आसफ

कमला नेहरू, दुर्गाबाई, हजरत महल, एनी बेसेंट ने

खुदीराम, सीमान्त गाँधी को देश नहीं भूलेगा जिन्होंने

जीवन अपना मातृभूमि पर वार किया

लाला, तिलक ने स्वतंत्रता की प्रष्ठभूमि को तैयार किया

बुलबुले ए हिंद ने कलम से अपनी ऊर्जा का संचार किया

तब कहीं जाकर अंग्रेजों को देश से हमने बाहर किया

चूर चूर कर डाला था क्रांतिवीरों ने सत्ता के अभिमान को

विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को

एक मुट्ठी नमक बना गांधी ने अंग्रेजी हुकुमत को ललकारा था

राष्ट्र पिता के प्रयासों से हो गया था एकजुट भारत सारा का सारा था

चरम पर था संग्राम स्वातंत्र्य का चढ़ गया जुबां पर भारत छोडो का नारा था

निकल रहे थे लोग सड़कों पर सबको भारत माता ने पुकारा था

लड़ रहे फिरंगी बम बन्दूकों और तोपों जैसे अस्त्रों से

बापू ने लड़ी लड़ाई सत्य और अहिंसा जैसे शस्त्रों से

जलवा दी थी होली विदेशी कपड़ो की, खादी जैसे वस्त्रों ने

बाँध दिया सारे भारत को संगठन और एकता के सूत्रों में

तन मन धन सर्वस्व समर्पित कर दिया जिसने भारत देश महान को

विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को

वीर सपूतों के शौर्य पराक्रम की गाथाओं से ये धरती सदा ही गुजायमान हो

रगों में देशप्रेम बहता रहे, भारत माता का सदा ही गौरव गान हो

है कर्तव्य हमारा, ह्रदय में संजो के रखना

वीर शहीदों के बलिदान को, प्यारे हिंदुस्तान को

जाया न करना अमर शहीदों के बलिदान को

विश्व पटल पर बनाये रखना भारत के सम्मान को||

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