Karwa Chauth 2024, साल 2024 में करवा चौथ व्रत कब है आइए जानते हैं करवा चौथ व्रत किस दिन और करवा चौथ की तारीख क्या है? करवा चौथ के दिन चंद्रमा का निकलने का समय और करवा चौथ व्रत के नियम क्या है. साथ ही चतुर्थी तिथि की शुरुआत कब होगी और कब समाप्त समय होगा इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे.
आइए जानते हैं कुछ ऐसे सवालों के जवाब जिनके बारे में अधिकतर लोगों को नहीं पता है. करवा चौथ को लेकर लोगों के मन में बहुत से प्रश्न होते हैं जैसे- करवा चौथ व्रत कथा की तिथि कब है? करवा चौथ का शुभ मुहूर्त क्या है? करवा चौथ की कहानी? करवा चौथ व्रत क्यों रखा जाता है? करवा चौथ का व्रत किसके लिए रखा जाता है? करवा चौथ का व्रत कौन कौन रख सकता है. करवा चौथ किस माह में अधिकतर पड़ता है? करवा चौथ की पूजा विधि क्या है? करवा चौथ का व्रत रखने के लिए सरगी में क्या खाएं क्या ना खाएं? सरगी क्यों खाई जाती है? सरगी खाने का क्या महत्व है?
करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार होता है. यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. करवा चौथ के इस प्रमुख त्यौहार को सौभाग्यवती महिलाएं विधिपूर्वक से मनाती हैं और व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं.
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Karwa Chauth Vrat Date 2024, Puja Vidhi step by step
सुहागिन महिलाओं द्वारा किए जाने वाले सभी व्रतों में करवा चौथ व्रत का अत्यधिक महत्व रखता है. वैवाहिक जीवन सुखमय होने के लिए, पति की लंबी आयु के लिए, और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और चौथ माता का विधिपूर्वक पूजा करती हैं. रात के समय में चंद्र दर्शन और अर्घ्य दान करने के बाद व्रत का पारण करती है.
हर वर्ष की तरह इस बार भी हिन्दू पंचांग के अनुसार करवा चौथ व्रत हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाएगा । इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024, दिन रविवार को रखा जाएगा. ज्योतिषविदों के अनुसार चतुर्थी तिथि में चंद्रोदयव्यापिनी मुहूर्त 20 अक्टूबर को है. जिसके कारण करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा.
करवा चौथ व्रत शुभ तिथि और शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth 2024 Vrat, Shubh Tithi aur Shubh Muhurat)
इस बार करवा चौथ का शुभ मुहूर्त कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 19 अक्टूबर, 2024 को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 20 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 47 मिनट पर होगा।
करवा चौथ के दिन क्या होता है?
करवा चौथ के दिन समस्त सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए और अटल सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भगवान शिव और माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करते हैं.
करवा चौथ के व्रत को संकष्टी गणेश चतुर्थी की तरह ही दिनभर उपवास रखकर रात में उगते हुए चंद्रमा को छननी से देखकर कर, रघुवर चंद्रमा को अर्घ देते हैं और उसके बाद अपने पति के हाथों से पानी पीते हैं. फिर पति के हाथों से भोजन करके व्रत को संपन्न किया जाता है.
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करवा चौथ व्रत के नियम (Rules of Karwa Chauth 2024) in Hindi
- करवा चौथ का व्रत सूर्य उदय से पहले शुरू कर चांद निकलने तक रखना होता है. चांद को देखने के बाद इस व्रत को खोला जाता है.
- शाम के समय चंद्रउदय से एक घंटा पहले शिव जी, माता पार्वती, नंदी जी, गणेश जी, और कार्तिकेय जी की पूजा की जाती है.
- करवा चौथ की पूजा के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की तरफ होना चाहिए और स्त्री को पूर्व की तरफ मुख करके बैठना चाहिए.
यह कुछ ऐसे नियम है जिनका सावधानीपूर्वक पालन करना चाहिए. करवा चौथ का व्रत रखते समय ऊपर बताए गए इन तीन बातों का अवश्य ध्यान रखें और नियम पूर्वक व्रत पूर्ण करें.
चांद निकलने का समय
पंचांग के अनुसार करवा चौथ पर पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्तूबर शाम 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होगा। ये मुहूर्त शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहने वाला है। इस दौरान चांद निकलने का समय शाम 7 बजकर 44 मिनट का है।
करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Story) in Hindi
“करवा चौथ व्रत कथा के अनुसार, “एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी. बेटी का नाम करवा था. एक बार करवा चौथ के दिन उनके घर में व्रत रखा गया, रात्रि को जब सब भोजन करने लगे तो करवा के भाइयों ने उसे भी भोजन करने का आग्रह किया. करवा ने यह कहकर मना कर दिया कि अभी चांद नहीं निकला है और वह चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन करेगी. सुबह से भूखी प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी गई. सबसे छोटा भाई एक दीपक दूर एक पीपल के पेड़ में प्रज्वलित कर आया और अपनी बहन से बोला व्रत तोड़ लो,चांद निकल आया है. बहन को भाई की चतुराई समझ नहीं आई और उसने खाने का निवाला खा लिया पहला निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला. शोकातुर सो कर गए अपने पति के शव को लेकर 1 वर्ष तक बैठी रही और उसने ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने फिर विधि विधान से करवा चौथ का व्रत किया और फल स्वरुप उसका पति पुन: जीवित हो उठा”।
तभी से करवा चौथ व्रत मनाया जाता है ये आप सभी जानते है करवा चौथ व्रत का महत्व कितना है. एक पत्नी के लिए उसके पति का ही सबसे ज्यादा सहारा होता है.अपने पति के लिए हर सुहागन महिला करवा चौथ का व्रत रखती है ताकि उसके पति की दीर्घआयु हो.
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