नमस्कार दोस्तों, आज का मेरा लेख (5 motivational story for success) उन लोगों के लिए है जो जिंदगी में उतार-चढ़ाव देख रहे हैं। वह किसी काम को करना चाहते हैं लेकिन उसमें सफलता नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं और असफल होकर निराश बैठे हैं। दोस्तों मेरे लेख में आपको पांच लोगों की कहानी बताई गई है की किस प्रकार वह हार कर भी सफल हुए है। इन सफलता प्राप्त लोगों की कहानियाँ पढ़कर आप अपने जीवन में सफलता की प्राप्ति के लिए फिर एक बार कोशिश करेंगे और तब तक कोशिश करते रहेंगे जब तक आप सफलता प्राप्त न कर लें।
इस लेख का महत्व लोगों को एक निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करना या प्रेरित करने का प्रयास करना, विशेष रूप से बाधाओं को दूर करने और सफलता, खुशी आदि प्राप्त करने के लिए जागरूक करना है।
5 ऐसी कहानियाँ (Motivational) जो आपको अपने लक्ष्य तक ले जाने को मजबूर कर देगी
1. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. Abdul Kalam)- भारत रत्न प्राप्त (Motivational Story Of Dr. APJ Kalam)
Motivational Story of Dr. APJ Kalam
डॉ. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडू के एक गाँव धनुषकोडी में हुआ था। अब्दुल कलाम जी जी अपनी शिक्षा के लिए धन की पूर्ति करने हेतु अखबार बेचने का कार्य भी किया। इनके पिता मछुआरों को किराये पर नाव देते थे।
यह कहानी ऐसे व्यक्ति की है जो अपने जीवन में सदा संघर्षशील रहा है। डॉ अब्दुल कलाम ने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना किया है जिसने कभी हार नहीं मानी तथा देशहित में अपना सर्वस्व न्योछावर करते हुए सदा उत्कृष्टता के पद पर चलते रहे। 71 वर्ष की आयु में भी डॉ. अब्दुल कलाम ने वह अथक परिश्रम करते हुए भारत को सुपर पावर बनाने की और प्रयासरत थे।
डॉ. अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। वह भारत रत्न से सम्मानित होने वाले तीसरे राष्ट्रपति हैं। यही नहीं भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक डॉ. कलाम ने देश को “अग्नि” एवं “पृथ्वी” जैसी मिसाइल देकर “चीन” एवं “पाकिस्तान” को इनकी रेंज में लाकर दुनिया को चौंका दिया था।
एक बार ऐसा भी हुआ था की डॉ. कलाम को निराशा मिली जिसका कारण यह था की वह एयरफोर्स के पैलेट के साक्षात्कार में 9वें नंबर पर आने का कारण था जिनमें से केवल कुल आठ प्रत्याशियों का चयन कारण था।
जब उन्हें निराशा मिली तब वह ऋषिकेश बाबा शिबनन्द के पास चले गए और अपनी व्यथा बताई। जिस पर बाबा ने उन्हे कहा :-
Accept your destiny and go ahead with your life. You are not destined to become an Airforce Pilot. What you are destined to become is not revealed now but it is predetermined. Forget this failure, as it was essential to lead you to your existence. Become one with yourself, my son. Surrender yourself to the wish of God.
बाबा शिवानन्द जी का कहने का अर्थ है की- अपने भाग्य को स्वीकार करें और अपने जीवन में आगे बढ़ें। “डॉ. कलाम को समझते हुए बोला की एयरफोर्स पायलट बनना आपकी किस्मत में नहीं है आपका क्या बनना तय है यह अभी प्रकट नहीं हुआ है लेकिन यह पूर्व निर्धारित है। इस विफलता को भूल जाओ, क्योंकि यह तुम्हारे अस्तित्व तक ले जाने के लिए आवश्यक थी। अपने आप में एक हो जाओ, मेरे बेटे। खुद को ईश्वर के प्रति समर्पित कर दो।
डॉ। कलाम का जीवन हर उस नवयुवक के लिए आदर्श प्रेरणा स्त्रोत है, जो अपने जीवन में एक असफलता मिलने पर निराश हो जाते है। उनका देश के प्रति प्रेम, देश भक्ति और राष्ट्र प्रेम का ज़ज़्बा हर भारतीय के लिए सबक एवं प्रेरणा का पुंज है और हमेशा रहेगा। डॉ. कलाम ने देश के प्रति अपना सारा जीवन निःस्वार्थ सेवा कार्य किया।
दोस्तों असफलता से निराश होने की आवश्यकता नहीं। जीवन में एक असफलता आपके लिए दूसरी सफलताओं के द्वार खोल सकती है। तुम्हें जीवन में कहाँ पहुँचना है इसका पता नही। आप कर्म करते रहें और ईश्वर पर विश्वास करें।
Read More……(Save Water)
2. सुकरात- सफलता का रहस्य (Motivational Story of Sukrat)
सुकरात एक महान philosopher है जिनसे एक बार एक व्यक्ति ने पूछा कि “सफलता का रहस्य क्या है?” (Motivational Story)
सुकरात ने उस व्यक्ति को अगले सुबह नदी के पास मिलने को कहा, और वही पर उस व्यक्ति को अपने प्रश्न का उत्तर मिलेगा।
अगले ही दिन जब वह व्यक्ति सुकरात से मिला तब सुकरात नदी में उतरकर उस नदी कि गहराई नापने को कहा।
जब वह व्यक्ति नदी में उयतकर आगे कि तरफ बढ़ा और पानी उस वक्ती कि नाक तक पहुंचा, पीछे से सुकरात ने आकर अचानक से उसका मुंह पनि में डुबो दिया। वह व्यक्ति बाहर निकलने के लिए झटपटाने लगा, बाहर निकलने कि कोशिश करता रहा लेकिन सुकरात थोड़े ज्यादा strong थे, तो सुकरात ने उसे काफी देर तक पानी में डुबोए रखा।
कुछ समय बाद सुकरात ने उस व्यक्ति को छोड़ दिया। इसके बाद उस व्यक्ति ने जल्दी से अपना मुंह पानी से निकाला और लंबी-लंबी साँसे ली।
सुकरात ने उस व्यक्ति से पूछा- ” जब तुम पानी में थे तो तुम क्या चाहते थे? “
उस व्यक्ति ने उत्तर देते हुए कहा की “जल्दी से बाहर निकलकर सांस लेना चाहता था।”
सुकरात ने कहा की “यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है। “जब तुम सफलता को उतनी ही तीव्र इच्छा से चाहोगे जितनी तीव्र इच्छा से तुम संस लेना चाहते हो, तो तुम्हें सफलता निश्चित रूप से मिल जाएगी।”
Read More….(Save Trees)
प्रेरित (Motivational) कर देने वाली 5 कहानियाँ जो आपको मंजिल पाने के लिए अभिप्रेरित कर देंगी
3. धनु के पक्के- महान गणितज्ञ रामानुजन (Motivational Story of Dhanu)
रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडू के इरोड़ कस्बे के एक गरीब घर में हुआ था। उनके पिता एक सदी की दुकान पर क्लर्क का काम करते थे। जब रामानुजन 11 वर्ष के थे, तब उन्होने SL Loney द्वारा लिखित गणित की किताब की पूरी मास्टरी कर ली थी।
गणित का ज्ञान अधिक होने से 14 वर्ष की उम्र में उन्हे मेरिट सर्टिफिकेट्स और कई अवार्ड्स मिले। वर्ष 1904 में जब उन्होंने टाउन हाईस्कूल से स्नातक पास की, तो उन्हें” के. रंगनाथा राव पुरस्कार, प्रधानाध्यापक कृष्ण स्वामी अय्यर” द्वारा प्रदान किया गया।
वर्ष 1909 में रामानुजन का विवाह हुआ, और उसके बाद 1910 में उनका एक ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के लिए घरवालों के पास पर्याप्त राशि नहीं थी, एक डॉक्टर ने उनका ऑपरेशन मुफ्त में किया था। ऑपरेशन के बाद रामानुजन ठीक हुए तब वह नौकरी की तलाश में जुट गए। नौकरी की तलाश में वह मद्रास में जगह- जगह घूमे, नौकरी के लिए उन्होने ट्यूशन भी किए, जिसके पश्चात वह बीमार पड़ गए।
इन्हीं बीच रामानुजन गणित में अपना कार्य करते रहे, ठीक होने के बाद, उनका संपर्क नेलौर के जिला कलेक्टर- रामचंदर राव से हुआ। रामचंदर राव रामनुजन के गणित में कार्य से बेहद प्रभावित हुए। इसके लिए रामचंद्र राव ने आर्थिक मदद भी की।
इतने परिश्रम के बाद वर्ष 1912 में रामानुजन को मद्रास में चीफ अकाउंटेंट के ऑफिस में क्लर्क की नौकरी मिली।
वे ऑफिस का कार्य जल्दी पूरा करने के बाद, गणित का रिसर्च करते रहते, इसके बाद वे इंगलैन्ड चले गए। इंग्लैंड में उनकी बहुत प्रशंसा मिली और उनके गणित के अनुठे ज्ञान को खूब सराहना मिली।
वर्ष 1918 में उन्हें Fellow of Trinity College Cambridge चुना गया। वह पहले भारतिए थे, जिन्हें इस सम्मान के लिए चुना गया।
नोट:- रामानुजन बहुत मेहनती एवं धुन के पक्के थे। कोई भी विषम परिस्थिति, आर्थिक कठिनाइयाँ, बीमारी और अन्य परेशनियाँ उन्हें अपनी सफलता पाने की धुन से विफल नहीं कर पाई, वह अंतत सफल हुए।
आज उन्हे महान गणितज्ञों में गिना जाने लगा। 32 साल की उम्र में ही इस प्रतिभाशाली व्यक्ति का देहावसान हो गया, और दुनिया ने एक महान गणितज्ञ को खो दिया।
4. अभिनव बिंद्रा (भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने के ली जिद्द और जुनून) (Motivational Story Of Abhinav Bindra)
श्वेता ने बताया कि बिन्द्रा ने स्वयं ही अपने लिए प्राइवेट कोच, पादकलॉजिस्ट व फिजियो नियुक्त किया था। इसके बावजूद, छोटी प्रतियोगिताओं में उनके मेडल न जीतने पर कई बार उनकी आलोचना भी हई, परन्तु उनको जानने वाले जानते थे कि अभिनव में वह क्षमता है, जो वक्त आने पर बड़ी प्रतियोगिता में अवश्य दिखेगा। उनका टारगेट ओलम्पिक ही था।
अभिनव बिंद्रा जिन्हें उनकी जिद्द और जुनून ने दिलाया था गोल्ड मेडल। भारत को ओलंपिक में गोल्ड मेडल मिलने से प्रत्येक भारतवासी खुशी से झूम उठा था। बिंद्रा की जीतने की जिद्द और जुनून ने उन्हें जीत के मुकाम पर पहुंचाया है।
बैंकॉक में हुए वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में बिंद्रा की टिममेट रही इंटरनेशनल शूटर श्वेता चौधरी ने कहा की बिंद्रा ने जो कहा, वह कर भी दिखाया। श्वेता ने बताया की बिंद्रा की ओलंपिक गोल्ड के लिए पिछले चार साल से अनवरत मेहनत कर रहे थे। बिंद्रा की जिद्द और जुनून ने भारत की गोल्ड मेडल से जीत हुई।
भारत में बदलाव कुछ इस प्रकार से आया, श्वेता बताती है की एथेंस ओलंपिक के बाद अभिनव के व्यवहार में चेंज आया। एथेंस ओलंपिक में पदक हासिल न करने के बाद ही उन्होने निश्चय कर लिया था की वह अगला मौका (बीजिंग ओलंपिक) नहीं गवाएंगे। श्वेता ने एक स्मरण सुनाते हुए कहा की बैंकॉक में वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान जब भारतीय टीम के अन्य शूटर शाम को शहर घूमने गए थे, और बिंद्रा जिम में एक्सरसाइज कर रहे थे।
एथेंस ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाने का सदमा अभिनव को ऐसा लगा की उनके व्यवहार में काफी परिवर्तन आ गया। वह अपने ही कार्यों में व्यस्त रहने लगे, पहले वह साथियों के बीच आकार हंसीं-मज़ाक करते थे, वह भी बंद कर दिया और लगातार विदेशों में जाकर प्रयास करते रहे।
5. वरदराज (अभ्यास का महत्व) (Motivational Story of Vardaraj)
प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर ही पढा करते थे प्राचीन समय में बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। बच्चे गुरुकुल में गुरु के सानिध्य में आश्रम की देखभाल किया करते थे और अध्ययन किया करते थे।
वरदराज नामक एक बच्चा जिसे सभी की तरह गुरुकुल भेज दिया गया। वहां आश्रम में अपने साथियों के साथ वह घुलने मिलने लगे। वरदराज पढ़ने में बहुत ही कमजोर थे, और गुरु जी की कोई भी बात उन्हें बहुत ही कम समझ आती थी, इस कारण सभी के बीच वह उपवास का कारण बनते रहे।
वरदराज परीक्षा में असफल हो गए तथा उनके सारे साथी अगली कक्षा में चले गए लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाए।
वरदराज के परीक्षा में असफल होने पर गुरुजी जी ने भी आखिर हार मानकर उसे बोला, “बेटा वरदराज! मैने सारे प्रयास करके देख लिये है। अब यही उचित होगा कि तुम यहां अपना समय बर्बाद मत करो। अपने घर चले जाओ और घरवालों की काम में मदद करो।”
वरदराज ने भी सोचा की शायद विध्या मेरी किस्मत में नहीं हैं, और गुरुकुल से घर के लिए निकाल गया। दोपहर का समय था, राते में उसे प्यास लगने लगी। ताश के वजह से वह इधर-उधर देखने लगे तभी उन्होंने पाया कि थोड़ी दूर पर कुछ महिलाएं कुएं से पानी भर रही थी, वह कुएं के पास गए।
कुएं के पत्थरों पर रस्सी के आने जाने से निशाना बने हुए थे, तब वरदराज ने महिलाओं से पूछा “यह निशान आपने कैसे बनाएं”? तभी एक महिला ने जवाब दिया,“बेटे यह निशान हमने नहीं बनाये यह तो पानी खींचते समय इस कोमल रस्सी के बार-बार आने जाने से ठोस पत्थर पर भी ऐसे निशान बन गए हैं”।
यह सुनकर वरदराज सोच में पड़ गया, तभी उन्होंने विचार किया कि जब एक कोमल से रस्सी के बार-बार आने जाने से एक ठोस पत्थर पर गहरे निशान बन सकते हैं, तो निरंतर अभ्यास से मैं विद्या ग्रहण क्यों नहीं कर सकता।
तभी वरदराज उत्साह के साथवापस गुरुकुल चले गए और अथक कड़ी मेहनत की। गुरु जी ने भी खुश होकर भरपूर सहयोग किया कुछ ही सालों बाद यही मंदबुद्धि बालक वरदराज आगे चलकर संस्कृत व्याकरण का महान विद्वान बना। जिसने लघुसिद्धांतकौमुदी, सारसिद्धान्तकौमुदी, मध्यसिद्धान्तकौमुदी, गीर्वाणपदमंजरी की रचना की।
शिक्षा-
दोस्तों अभ्यास की शक्ति का तो कहना ही क्या है। यह आपके हर सपने को पूरा करेगी। अभ्यास बहुत जरूरी है चाहे वो खेल में हो या पढ़ाई में या किसी ओर चीज़ में। बिना अभ्यास के आप सफल नहीं हो सकते हो। अगर आप बिना अभ्यास के केवल किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे, तो आखिर में आपको पछतावे के सिवा और कुछ हाथ नहीं लगेगा। इसलिए अभ्यास के साथ धैर्य, परिश्रम और लगन रखकर आप अपनी मंजिल को पाने के लिए जुट जाए।
दोस्तों आपको मेरा आज का यह 5 Motivational story लेख कैसा लगा। यह लेख आपके लिए कितना मददगार हुआ आपके कितने काम आया आप कमेंट करके बताएं। साथ ही आप इस लेख को अपने दोस्तों व परिवारजनों के साथ साझा कर सकते है, और सोशल मीडिया जैसे- Whatsapp, Instagram, Faceboook इत्यादि पर शेयर कर सकते है।